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दैनिक भास्कर ने बताया रेड में स्टाफ के साथ क्या-क्या किया,संसद से सोशल तक हंगामा

दैनिक भास्कर ने छापों के बाद लिखा - कोरोना कंट्रोल में सरकार की नाकामी की खबर छापने वाले अखबार पर दबिश

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p> Dainik Bhaskar ग्रुप में इनकम टैक्स की रेड</p></div>
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Dainik Bhaskar ग्रुप में इनकम टैक्स की रेड

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर के दफ्तरों और इसके प्रमोटरों के घरों पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की छापेमारी हुई. दैनिक भास्कर का कहना है कि कई घंटों तक चली इस छापेमारी के दौरान किसी को भी दफ्तर से जाने नहीं दिया गया, यहां तक कि सभी के मोबाइल जब्त कर लिए गए. पूरे दिनभर दैनिक भास्कर के दफ्तरों में हुई छापेमारी चर्चा में रही, संसद से लेकर विदेशी मीडिया तक में इसे उठाया गया. इस छापेमारी के बाद भास्कर ने कहा कि वो डरने वाले नहीं हैं, क्योंकि वो सच दिखाते हैं.

भास्कर ने कहा- यहां पाठकों की मर्जी चलेगी

इनकम टैक्स की रेड के बाद दैनिक भास्कर ने जो अपनी पहली खबर छापी, उसमें बिना किसी डर के वेबसाइट पर लिखा गया कि भास्कर स्वतंत्र है, यहां पाठकों की मर्जी चलेगी. साथ ही दैनिक भास्कर ने ये पहली कॉपी इनकम टैक्स रेड पड़ते हुए ही पब्लिश की थी. बकायदा इसमें लिखा गया था कि आईटी अधिकारियों को दिखाकर ये आर्टिकल पब्लिश किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने ऐसा करने को कहा है. रेड के कुछ देर बाद भास्कर ने लिखा,

"कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के सामने सरकारी खामियों की असल तस्वीर रखने वाले दैनिक भास्कर ग्रुप पर सरकार ने दबिश डाली है. भास्कर समूह के कई दफ्तरों पर गुरुवार तड़के इनकम टैक्स विभाग ने छापा मारा है. विभाग की टीमें दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान स्थित दफ्तरों पर पहुंची हैं और कार्रवाई जारी है."

मोबाइल और लैपटॉप छीनने के आरोप

दैनिक भास्कर ने अपने इसी आर्टिकल में ये भी बताया कि कैसे छापेमारी के बाद स्टाफ के उन लोगों को भी घंटों तक रोक लिया गया, जो रातभर से शिफ्ट कर रहे थे. रात में काम कर रहे लोगों को दोपहर करीब 12:30 बजे छोड़ा गया. भास्कर के मुताबिक स्टाफ में कुछ महिलाएं भी शामिल थीं. साथ ही अखबार के मुताबिक भास्कर के कुछ दफ्तरों में कर्मचारियों से लैपटॉप तक छीन लिए गए और उन्हें काम नहीं करने दिया गया.

इतना ही नहीं इस मीडिया ग्रुप ने अपनी उन तमाम रिपोर्ट्स को भी इस आर्टिकल के साथ जोड़ा, जिनमें सिस्टम और सरकारों की पोल खोली गई थी. इसमें कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा में तैरते शव, जलती चिताएं, वैक्सीन की बर्बादी, ऑक्सीजन की कमी से मौतें और पेगासस जासूसी कांड को लेकर भास्कर की खबरें शामिल थीं.

साथ ही भास्कर ने छापेमारी से जुड़ी खबरें कीं, उनमें यही डिस्क्लेमर नजर आया कि, "ये खबर भास्कर पर रेड डालने आए आईटी अधिकारियों को पढ़ाकर पब्लिश की गई है. भास्कर दफ्तर में बैठके अधिकारियों का निर्देश है कि छापे से जुड़ी हर खबर दिखाकर ही पब्लिश करना है."

विपक्षी नेताओं ने बोला जमकर हमला

इस छापेमारी को लेकर राजनीतिक जगत में भी खूब हंगामा हुआ. संसद से लेकर सोशल मीडिया तक विपक्षी नेताओं ने इसकी आलोचना की. संसद के मानसून सत्र में भी दैनिक भास्कर पर छापेमारी का मुद्दा उछला. विपक्षी सांसदों ने इसे लेकर खूब नारेबाजी की. जिसके बाद दोनों सदनों को कल तक के लिए स्थगित करना पड़ा. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस छापेमारी के बाद ट्विटर पर लिखा, "कागज पर स्याही से सच लिखना, एक कमजोर सरकार को डराने के लिए काफी है."

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ममता बनर्जी बोलीं- निरंकुश ताकतों को सफल नहीं होने देंगे

राहुल गांधी के अलावा टीएमसी प्रमुख और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला और इसे लोकतंत्र के खिलाफ उठाया गया कदम बताया. ममता ने ट्विटर पर लिखा,

"पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर हमला लोकतंत्र को कमजोर करने की एक और कोशिश है. जिस तरह से मोदी जी कोरोना को ठीक से हैंडल नहीं कर पाए और देश ने महामारी के दौरान भयानक दिन देखे, उसे दैनिक भास्कर ने बहादुरी के साथ रिपोर्ट किया. मैं ऐसी हरकत की कड़ी निंदा करती हूं. जिसका लक्ष्य सच बोलने वाली आवाज को दबाना है. ये हमारे लोकतंत्र के मूल्यों का घोर उल्लंघन है. मीडिया में सभी लोगों से मेरी अपील है कि मजबूती के साथ खड़े रहिए, हम सब साथ मिलकर निरंकुश ताकतों को सफल नहीं होने देंगे."

विदेशी मीडिया में भी चर्चा

दैनिक भास्कर ग्रुप पर छापेमारी को लेकर विदेशी मीडिया में भी खूब चर्चा हुई. विदेशी मीडिया ने भी इस छापेमारी को भास्कर की पिछली कुछ रिपोर्ट्स से जोड़कर देखा. अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी हेडलाइन में यही बात लिखी. इस वेबसाइट की हेडलाइन थी- "भारत के शीर्ष अखबार पर आलोचनात्मक कवरेज के कुछ महीनों बाद इनकम टैक्स की रेड"

वॉशिंगटन पोस्ट ने अपने आर्टिकल में बताया कि उसने भारतीय एजेंसी से इस मामले में पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

द गार्डियन ने भी इस खबर को पब्लिश किया और लगभग वही हेडलाइन लगाई जो वॉशिंगटन पोस्ट ने लगाई थी. गार्डियन ने अपनी हेडलाइन में लिखा- "भारतीय न्यूज पेपर पर टैक्स रेड, जिसने कोरोना पर सरकार की आलोचना की थी." ठीक इसी तरह अलजजीरा, डीडब्ल्यू और बीबीसी जैसे विदेशी मीडिया संस्थानों ने इस खबरो को लिया. सभी में कहा गया था कि कई चीजों में सरकार की आलोचना करने वाले अखबार के दफ्तरों पर आईटी रेड हुई है.

सोशल मीडिया पर लगातार टॉप ट्रेंड

दैनिक भास्कर पर आईटी रेड सोशल मीडिया पर भी खूब छाई रही. सुबह से लेकर अब तक ट्विटर पर दैनिक भास्कर का ट्रेंड टॉप पर है. इसमें भास्कर ग्रुप के समर्थन में ही हजारों ट्वीट हुए. तमाम लोगों ने आईटी की इस छापेमारी को लेकर सरकार को जमकर फटकार लगाई और भास्कर के पुराने आर्टिकल ट्वीट किए गए. इसमें तमाम विपक्षी दलों के छोटे और बड़े नेता भी शामिल रहे.

वहीं बीजेपी नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी. जब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर से कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान ये सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं है. एजेंसियां अपने तरीके से काम करती हैं. इसी को सरकार का जवाब मान लिया गया.

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Published: 22 Jul 2021,10:11 PM IST

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