Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019फर्जी केस में सबसे ज्यादा फंसते हैं दलित, आदिवासी और मुसलमान !

फर्जी केस में सबसे ज्यादा फंसते हैं दलित, आदिवासी और मुसलमान !

पुलिस के मौजूदा हालात पर CSDS का सर्वे

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
सांकेतिक तस्वीर
i
सांकेतिक तस्वीर
null

advertisement

देश में पुलिस के मौजूदा हालात पर कॉमन कॉज और लोकनीति-CSDS ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें ये बात सामने आई है कि दलित, आदिवासी और मुसलमानों के छोटे-मोटे क्राइम, नक्‍सलवाद और आतंकवाद के फर्जी मामलों में फंसने की आशंका सबसे ज्यादा होती है.

सर्वे में 38 फीसदी लोगों ने कहा कि दलितों को फर्जी मामलों में ज्यादा फंसाया गया है, जबकि 28 फीसदी का कहना है कि नक्‍सलवाद से जुड़े मामलों में आदिवासी जेल भेज दिए जाते हैं. 27 फीसदी का मानना है कि मुसलमानों को आतंकवाद से जुड़े मामलों में फंसाना आसान है.

स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया, 2018 नाम की इस रिपोर्ट को 22 प्रदेशों से मिले डेटा और सर्वे के आधार पर बनाया गया है.

इस रिपोर्ट को CSDS के डायरेक्टर संजय कुमार, पूर्व लॉ कमिशन चेयरमैन जस्टिस एपी शाह, पूर्व DGP पुलिस प्रकाश सिंह और मानव अधिकारों के लिए काम करने वाले वकील वारीशा फरासत की मौजूदगी में जारी किया गया.

इस रिपोर्ट में ये बात भी निकलकर आई है कि पुलिस थाने बुलाए जाने वाले कुल लोगों में 23 फीसदी आदिवासी थे, 21 फीसदी मुसलमान, 17 फीसदी ओबीसी और 13 फीसदी दलित थे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पुलिस पर भरोसा

रिपोर्ट के मुताबिक, लोगों में अब भी पुलिस पर भरोसे की कमी है. सर्वे में शामिल 10 में से सिर्फ 3 लोग किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर भरोसा करते हैं.

सर्वे के मुताबिक, सबसे कम सिर्फ 16 फीसदी लोगों को ट्रैफिक पुलिस पर भरोसा है. पुलिस पर भरोसे की स्थिति सिर्फ सरकारी अधिकारियों से बेहतर है, जिन पर सिर्फ 18 फीसदी लोग भरोसा करते हैं.

हालांकि CSDS की 2013 रिपोर्ट के आंकड़ों से अगर तुलना की जाए, तो ये आंकड़े बेहतर हैं. 2013 में सिर्फ 16 फीसदी लोगों का मानना था कि वो पुलिस पर भरोसा कर सकते हैं.

पुलिस पर सबसे ज्यादा भरोसा करने वाले राज्यों की लिस्ट में हरियाणा टॉप पर है, जहां सबसे ज्यादा लोग मानते हैं कि वो पुलिस अधिकारी पर भरोसा कर सकते हैं.

हालांकि कॉमन कॉज के डायरेक्टर विपुल मुद्गल ने साफ किया कि ये सर्वे डेरा सच्चा सौदा के चीफ गुरमीत राम रहीम की रेप केस में गिरफ्तारी से पहले लिया गया था, जिसमें डेरा समर्थकों ने सड़कों पर काफी आतंक मचाया था. इसके बाद राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठे थे.

CSDS डायरेक्टर संजय कुमार ने कहा कि लोगों का भरोसा उन जगहों पर ज्यादा था, जहां उनकी बात सुनी जाती हो.

ज्यादातर लोग पुलिस के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन अगर उन्हें पता हो कि ये किसी सर्वे के लिए है, तो वो सतर्क हो जाते हैं
संजय कुमार, डायरेक्टर, CSDS

करीब 44 फीसदी लोगों ने सर्वे में कहा कि उन्हें लगता है कि अगर वो पुलिस के पास जाते हैं, तो उन्हें किसी भी तरह से प्रताड़ित किया जा सकता है.

पुलिस विभागों में SC, ST, OBC और महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम

जिन 22 राज्यों में ये सर्वे कराया गया, उनमें से 18 राज्य ऐसे थे, जहां आरक्षण के बावजूद दलितों को जितने पद मिलने चाहिए थे, उतने नहीं मिले हैं. सिर्फ 6 राज्यों में OBC के लिए निर्धारित सभी सीटों पर भर्तियां हुई हैं और सिर्फ 9 में आरक्षण के हिसाब आदिवासियों की भर्तियां हुई हैं.

महिलाओं की भागीदारी अभी भी बेहद कम है. 22 राज्यों में एक भी ऐसा राज्य नहीं है, जहां 33 फीसदी महिला पुलिस कर्मचारी हों.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT