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दलितों के उत्पीड़न के मसले पर बीजेपी लगातार घिरती जा रही है. भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद से विपक्ष लगातार बीजेपी को निशाना बना रहा है. अब बीजेपी के अपने ही उस पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. एक हफ्ते के भीतर अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सांसदों की लिस्ट में चार नाम जुड़ चुके हैं.
उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को लेटर लिखकर नाराजगी जताई है. उन्होंने सरकार पर दलितों की अनदेखी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में सरकार ने देश के 30 करोड़ दलितों के लिए कोई काम नहीं किया. अपने इस लेटर में उन्होंने कहा कि दलित होने की वजह से उनकी क्षमताओं का इस्तेमाल नहीं किया गया है और वो सिर्फ दलित होने की वजह से सांसद बने हैं.
डॉ. यशवंत सिंह से पहले बहराइच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले और रॉबर्ट्सगंज से सांसद छोटेलाल के बाद अब इटावा से बीजेपी सांसद अशोक कुमार दोहरे ने योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाए हैं. दोहरे ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में लिखा है कि वह दलित उत्पीड़न से आहत हैं.
बीजेपी सांसद अशोक दोहरे का कहना है कि भारत बंद के बाद पुलिस दलितों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है. दोहरे ने कहा है कि यूपी पुलिस भारत बंद के बाद से एससी और एसटी समुदाय के लोगों को जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें घर से बाहर निकालकर पीट रही है, इससे अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है.
इससे पहले गुरुवार को यूपी के रॉबर्ट्सगंज से बीजेपी के दलित सांसद छोटेलाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर सीएम योगी की शिकायत की थी. दलित सांसद छोटेलाल खरवार का कहना है कि उनकी अपनी सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है. वो दलित होने का खामियाजा उठा रहे हैं और हर जगह गुहार लगाने पर कहीं भी सुनवाई नहीं हुई. इसलिए जब कोई विकल्प नहीं बचा तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शरण में आए.
खरवार ने जो प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है, उसमें सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संगठन मंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे पर कई संगीन आरोप लगाए हैं.
छोटेलाल ने यह भी दावा किया कि जब उन्होंने इस मामले में सीएम योगी से मुलाकात करके शिकायत की तो सीएम ने उन्हें डांटकर भगा दिया.
बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले भी अपनी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं. फुले ने आरक्षण के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए कहा, 'मैं सांसद रहूं या न रहूं, लेकिन आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं होने दूंगी. यह मुझे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है.'
आरक्षण को बाबा साहब और संविधान की देन बताते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रतिनिधित्व का मामला है. इसे भीख कहना संविधान का अपमान है. फुले पहले भी अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरक्षण को लेकर कई गंभीर आरोप लगा चुकी हैं.
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