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तारीख- 15 अगस्त.
जगह- चक्करपुर गांव, गुरूग्राम, हरियाणा.
दलितों ने अमन और भाईचारे का संदेश देने के लिए कबड्डी का मैच रखा था. मैच में दलित कई पॉइंट्स से आगे चल रहे थे. जीतने ही वाले थे. लेकिन तभी लात-घूंसे, पत्थर और कुर्सियां चल गईं. फिर दलित खिलाड़ी अस्पताल पहुंचे. साथ ही दलित आयोजक भी.
देश भर में पिछले कुछ महीनों से दलितों के खिलाफ बढ़ रहे अत्याचारों में गुरूग्राम के चक्करपुर गांव की घटना भी एक कड़ी है. इस कड़ी में गुजरात के उना से लेकर मध्यप्रदेश में दलितों पर हुए अत्याचार की तमाम घटनाएं शामिल हैं.
क्विंट हिंदी ने इस मामले में दोनों पक्षों से बात करके मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश की.
पेशे से ड्राइवर 32 साल के विजेंद्र ने बीती 15 अगस्त को अपने दलित साथियों के साथ मिलकर कबड्डी का एक मैच आयोजित किया था. दो दर्जन से ज्यादा टीमों में दलित, यादव, अग्रवाल और अन्य तमाम जातियों के खिलाड़ी शामिल थे.
योगेंद्र ने स्थानीय पार्षद अनिल यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्षद ने अस्पताल प्रशासन से दलित पीड़ितों को बाहर फेंकने को कहा.
स्थानीय पार्षद अनिल यादव ने क्विंट हिंदी से की बातचीत में कहा कि यह एक सामान्य घटना थी. उन्होंने कहा कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, ऐसा होता रहता है.
अनिल यादव दलितों पर हमला करने वाले युवकों को बचाने की कोशिश करते दिखे. उन्होंने दावा किया कि ये मामला पूरी तरह सुलट गया है.
क्विंट हिंदी का सवाल: अगर मामला सुलट गया है तो अब तक लड़कों को पेश क्यों नहीं किया गया?
पार्षद का जवाब: लड़कों को भी पेश कर दिया जाएगा, जब मौका आएगा. उन पर बड़े मुकदमे लगे हैं. अभी नहीं पर जल्द ही लड़के पेश होंगे.
हिंदी क्विंट की इस पड़ताल में कई दलित युवाओं ने इसे अपनी बढ़ती आर्थिक समृद्धि के प्रति सवर्णों की झुंझलाहट से जोड़कर पेश किया.
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