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दलित संगठनों का ‘भारत बंद’: इन 12 मौतों का जिम्मेदार कौन है?

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक शख्स का रिवाल्वर से फायरिंग करते हुए वीडियो वायरल हुआ था

अभय कुमार सिंह
भारत
Updated:
यूपी के मेरठ में प्रदर्शनकारियों ने बाइक को आग के हवाले कर दिया
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यूपी के मेरठ में प्रदर्शनकारियों ने बाइक को आग के हवाले कर दिया
(फोटो: PTI)

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महज 24 घंटे में 12 लोगों की मौतें. ये है एक लाइन में दलित संगठनों के भारत बंद का हाल. लेकिन कई चेहरे और तस्वीरें सामने आईं हैं जो संदेह पैदा करती हैं कि क्या दलित आंदोलन में हिंसा भड़काने में कोई और भी शामिल था? आखिर राज्य सरकारें आंदोलन की तीव्रता का अंदाज क्यों नहीं लगा पाईं. उनका खुफिया तंत्र फेल कैसे हो गया.

पंजाब, राजस्थान, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार दिल्ली और ओडिशा में दलित प्रदर्शन हुए. लेकिन सबसे ज्यादा हिंसा बीजेपी की सरकार वाले मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में सबसे ज्यादा हिंसा और मौतें हुई. हिंसा में ज्यादातर दलित ही मारे गए, तो वो किसकी गोली से मारे गए? दलित संगठनों के मुताबिक उन्होंने हिंसा नहीं की. फिर इस हिंसा के पीछे कौन है..

दलितों के भीतर का गुस्सा प्रदर्शन में दिखा

मेरठ में प्रदर्शनकारियों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया(फोटो: PTI)

प्रदर्शन ने दलितों के भीतर गुस्से को दिखाया ही, साथ ही इन राज्यों में कानून व्यवस्था की पोल-खोल कर रख दी.

मध्य प्रदेश में 8, यूपी में 2 और राजस्थान में 2 मौत के बाद पुलिस प्रशासन की धरपकड़ शुरू हुई है.

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जिस शख्स का रिवाल्वर से फायरिंग करते हुए वीडियो वायरल हुआ था, उसके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. इस शख्स की पहचान बीजेपी के कार्यकर्ता राजा सिंह चौधरी के तौर पर हुई है.

दलित संगठनों से जुड़े लोग इसे आंदोलन को हिंसक बनाने की साजिश बता रहे हैं. दलित सामजिक कार्यकर्ता देवाशीष जररिया ने अपने ट्विटर हैंडल से ये दावा किया है

राजा चौहान ने भारत बंद को जाति की हिंसा में बदल दिया, दलित समुदाय के 3 लोगों को मार दिया, ये मेरे स्कूल में मेरा सीनियर था.
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राज्य में 50 उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है. मध्य प्रदेश पुलिस का दावा है कि कोई भी मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. वहीं उत्तर प्रदेश में 2 लोगों की मौत के साथ 70 से ज्यादा लोग जख्मी हैं. सोमवार को हुई हिंसा के सिलसिले में 650 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 125 मामले दर्ज किए गए हैं. ये फैक्ट भी है कि मरने वाले ज्यादातर दलित हैं. तो ये मौतें कैसे हुईं? क्या आंदोलनकारी एक दूसरे को मार रहे थे? या कोई और आंदोलन को दूसरी तरफ ले जा रहा था. ये तो पुलिस की जांच का विषय है.

मध्य प्रदेश, राजस्थान और यूपी में हालत बदतर?

शिमला में सैकड़ों लोगों ने सड़क पर उतरकर ‘भारत बंद’ का समर्थन किया(फोटो: PTI)

इस पूरे आंदोलन में मध्य प्रदेश, राजस्थान और यूपी से मौत की खबरें आईं हैं. 2014 से 2016 के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि ये राज्य दलित उत्पीड़न में सबसे आगे हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, दलित उत्पीड़न में बीजेपी शासित मध्य प्रदेश का पहला स्थान है तो राजस्थान का दूसरा स्थान. इन दोनों बातों का क्या कनेक्शन है ये आपके विवेक पर निर्भर करेगा.

हिंसा फैलाने वाले डरते क्यों नहीं?

इन राज्यों में आगजनी करते हुए, सरकारी संपत्ति में आग लगाते हुए, खुलेआम फायरिंग करते हुए, तलवार लहराते हुए, लाठिया भांजते हुए बदमाश देखे गए. पुलिस और प्रशासन का खौफ उनके चेहरे पर नहीं था. राजस्थान में प्रदर्शन के दौरान एक सब इंस्पेक्टर पर हमला कर दिया गया, गंभीर रूप से घायल सब इंस्पेक्टर की मौत हो गई. ऐसे हाहाकार के कारण क्या हैं? इसके दो ही कारण हो सकते हैं या तो सरकारें सत्ता नहीं संभाल पा रही हैं या सरकारें सबकुछ ठीक करना नहीं चाहती.

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Published: 03 Apr 2018,07:23 PM IST

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