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गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के उग्र आंदोलनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच हुई झड़प में गुरुवार को 15 पुलिसकर्मी घायल हो गए. सूत्रों के मुताबिक हालात बिगड़ता देख दार्जिलिंग में सेना बुलाने की तैयारी की जा रही है.
इससे पहले आंदोलनकारियों ने 5 वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. आंदोलन को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागने वाले पुलिसकर्मियों पर GJM के आंदोलनकारियों ने पथराव किया और उनकी पांच गाड़ियों को आग लगा दी.
इस हिंसा में आंदोलनकारियों ने एक यातायात चौकी में भी आग लगा दी. इसके अलावा, बैरीकेड भी तोड़े गए. हिंसा के दौरान राज्य कैबिनेट की बैठक हुई.
ये हिंसा दार्जिलिंग कस्बे के मॉल रोड स्थित भानु भवन के पास भड़की. हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों में जलपाईगुड़ी रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार यादव भी शामिल हैं. उन्हें GJM समर्थकों के साथ संघर्ष के दौरान चोटें आई हैं. GJM समर्थकों ने कालिमपोंग जिले के आस-पास के बाजारों को बंद करने का दबाव भी डाला.
GJM समर्थकों ने गोरखाओं के लिए एक अलग राज्य की मांग के लिए दबाव बनाने की कोशिश में रैली का आयोजन किया था. ये रैली ममता बनर्जी सरकार से एक परिपत्र जारी करने की मांग के पक्ष में भी थी.
बता दें कि गोरखाओं के लिए अलग राज्य की मांग का मुद्दा सबसे पहले 1980 में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (GNLF) ने उठाया गया था. 2008 में GJM ने GNLF को अलग कर दिया. अलग राज्य की इस मांग की हिंसा में तीन दशकों में अब तक कई जानें जा चुकी हैं. इसके अलावा, इससे क्षेत्र के चाय और लकड़ी के व्यापार को साथ ही पर्यटन को भी नुकसान पहुंचा है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को 45 साल में पहली बार दार्जिलिंग कस्बे में मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह आंदोलन गैर-मुद्दे पर आधारित है. बनर्जी ने कहा-
मुख्यमंत्री ने कहा, "हमारी किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं है. हम चाहते हैं कि पहाड़ी कस्बे और राज्य का संचालन और विकास सही तरह से हो."
बाद में GJM ने कथित तौर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में उत्तर बंगाल की पहाड़ियों में शुक्रवार को 12 घंटे का बंद बुलाया है. GJM के महासचिव रोशन गिरी ने कहा,
मुख्यमंत्री बनर्जी ने राज्य के हर स्कूल में बंगाली भाषा को अनिवार्य किए जाने के बाद से ही उत्तर बंगाल में राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है. इस क्षेत्र में दबदबा रखने वाली GJM, बनर्जी की इस घोषणा से नाखुश है.
बनर्जी ने सोमवार को यह घोषणा कर हालात को शांत करने की कोशिश की थी कि दार्जिलिंग, दोआर और तराई के इलाकों के स्कूलों में बंगाली भाषा अनिवार्य नहीं होगी. बनर्जी ने कहा कि GJM उनकी सरकार के बारे में झूठी बातें फैला रहा है.
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