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पिछले तीन महीनों से कार सेल्समैन मनोज अपना टारगेट पूरा नहीं कर पा रहा था. बीते हफ्ते उसे नौकरी से निकाल दिया गया. मनोज पिछले तीन साल से साउथ दिल्ली के एक डीलरशिप शोरूम पर काम कर रहे थे.
ऐसा नहीं है कि मनोज अंडर परफॉर्मर था या शोरूम पर कारों की बिक्री को लेकर पर्याप्त इन्क्वायरी नहीं आ रही थी. मनोज ने ब्लूमबर्ग क्विंट को फोन पर बताया, 'मुझे कहा गया कि मार्केट में मंदी है, इसलिए वे मेरी सैलरी दे पाने में सक्षम नहीं हैं.'
मनोज के ऊपर अपने परिवार की जिम्मेदारी है, उनके परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई भी है. इसके अलावा वह मोटरसाइकिल की किस्त भी जमा करते हैं. नौकरी जाने पर मनोज ने बताया, 'अब ना तो मैं वापस घर जा सकता हूं और ना ही मैं बिना नौकरी के दिल्ली में रह सकता हूं.'
ऑटो सेक्टर में मंदी की वजह से नौकरी गंवाने वाले मनोज अकेले नहीं हैं. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल मंदी की वजह से देशभर में करीब 25000-35000 लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी और करीब 271 कार और टू व्हीलर शोरूम बंद हो गए थे.
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के आंकड़ों के मुताबिक, एक साल में कारों और यूटिलिटी वाहनों की बिक्री में आई गिरावट ऑटो सेक्टर में एक दशक की सबसे बड़ी मंदी है.
नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के आधार पर डीलरशिप से वाहनों की बिक्री जून में घटकर 18 महीने के निचले स्तर पर आ गई.
फरीदाबाद में महिंद्रा कार डीलरशिप चलाने वाले FADA के उपाध्यक्ष विंकेश गुलाटी के अनुसार, पिछले साल दिवाली के बाद खराब सीजन के बाद, सभी को मंदी की आशंका थी. उन्होंने कहा, "लेकिन अप्रैल तक ऐसा नहीं हुआ, और सभी समझ गए कि मंदी असली है और ये अब टिकेगी."
उन्होंने कहा कि शोरूम मैनपावर और इन्वेंट्री लागत में कटौती करने की कोशिश कर रहे हैं, दोनों कुल लागत का लगभग दो-तिहाई है. गुलाटी के मुताबिक, हर महीने देशभर में करीब 5,000 लोगों की छटनी की जा रही है. पिछले दो महीनों में, उन्होंने खुद 25 लोगों को निकाला.
महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के दिल्ली स्थित एक डीलर ने ब्लूमबर्गक्विंट को बताया कि उन्हें पिछले दो महीनों में लगभग 40 लोगों को निकालना पड़ा और किराये की लागत में कटौती करने के लिए एक छोटे आउटलेट में शिफ्ट होना पड़ा.
इसके अलावा डीलर लागत में कटौती करने के लिए अन्य तरीके भी तलाश रहे हैं.
डीलरों की उम्मीद अब दिवाली पर टिकी हैं. डीलरों में यह डर तब है जब मंदी सिर्फ मेट्रो शहरों और टियर -1 और टियर -2 शहरों तक ही सीमित है, अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है तो यह छोटे शहरों तक पहुंच जाएगी.
गुलाटी ने कहा, 'अगर ये सीजन अच्छा नहीं निकला, तो हम बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं. क्योंकि टोटल बिजनेस का 25 फीसदी सिर्फ त्योहारों से ही आता है.' उन्होंने कहा, "अब बहुत कुछ सीजन पर ही निर्भर है."
उधर, मनोज की बात करें तो उन्होंने हार नहीं मानी है. वह दिल्ली में नौकरी ढूंढ रहे हैं. अपने माता-पिता को जल्द ही दिल्ली लाने की योजना की वजह से वह दिल्ली के अन्य शोरूम में कम वेतन पर भी नौकरी तलाश कर रहे हैं.
लेकिन उनका कहना है, 'मैं जहां भी जाता हूं, मुझे बताया जाता है कि वहां हायरिंग बंद है.'
ऑटो सेक्टर में चल रही मंदी का खतरा इस इंडस्ट्री के लाखों कामगारों की तरफ बढ़ रहा है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्यूफेक्चरिंग एसोसिएशन का मानना है कि अगर ऐसी ही मंदी जारी रही तो कम से कम 10 लाख नौकरियां इसकी चपेट में आ सकती हैं.
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