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डियर इंडिया,
मैं एक अच्छा भारतीय हूं लेकिन बहुत निराश हूं. पिछले साल मेरे साथ कुछ नाटकीय घटनाएं हुईं थीं. फरवरी में जेएनयू मामले से लेकर दिसंबर नोटबंदी तक. इस साल आशा करता हूं कि ऐसा कुछ नहीं होगा.
मुझे उम्मीद है इंडिया को 'डर्टी पॉलिटिक्स' से छुटकारा मिलेगा. क्या गांधी जी और अंबेडकर का यही सपना था? क्या जय प्रकाश नारायण की मेहनत का यही नतीजा है? इस तरह स्थिति देखकर बहुत दुख होता है.
कोई रुपये-डॉलर में अंतर के बारे में बात नहीं करता, कोई मुद्रास्फीति के बारे में बात नहीं करता. लोग किसानों की परेशानियों के बारे में सिर्फ बकवास करते है. यह मुद्दे सिर्फ चुनावों के दौरान उठते हैं, उसके बाद खत्म हो जाते हैं.
बॉडी और पैसा राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण पहलू होते हैं. हाय! राजनीति में दिस्लचल्पी हर दिन गिरती जा रही है. सिंगर, रॉकस्टार, रैपर्स और फिल्म स्टार के प्रति लोगों का रूझान बढ़ रहा है. डीयू, जेएनयू, एयू, बीएचयू और कुछ खास यूनिवर्सिटीज, स्कूलों के अलावा राजनीति में कोई ज्यादा दिलचस्पी लेता नहीं दिखता.
छात्र हमारे देश का अहम हिस्सा हैं. हमारा देश तभी जागरूक हो सकता है जब यूथ सचेत होगा.
मैं अपने देश भारत के छात्रों और युवाओं को जगाने का आग्रह करता हूं, जो लोगों की आवाज बन जाए.
एक सच्चा इंडियन
रिषभ रंजन
(क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आप इंडिया से बात कर रहे हों? हां, बिल्कुल सही. आप इंडिया को किस नजरिए से देखते हो और आप अच्छे इंडियन हो या बुरे इंडियन, यह लिख कर बताओ? आप बुरा भला, नाराजगी, खुशी या चिंता जाहिर कर सकते हो. लेकिन अगर आपका उत्तर ना है, तो बुरा मत मानिएगा. आप आज से शुरुआत कर सकते हैं.
शर्म मत कीजिए, दुनिया को बताइए. अपना लेख हमें इस ईमेल पर मेल कीजिए lettertoindia@thequint.com. हमें भरोसा है कि इंडिया को आपका मैसेज जरूर मिलेगा.)
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