advertisement
शराब कारोबारी विजय माल्या ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि स्पेशल कोर्ट से उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करना और उसकी संपत्ति को कुर्क करने की अनुमति देना आर्थिक रूप से मृत्युदंड देने जैसा है.
माल्या ने अपने वकील अमित देसाई के जरिए जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच के सामने यह बयान दिया. पिछले साल अगस्त में वजूद में आए भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका के दौरान वकील ने यह दलील दी.
माल्या ने अपने वकील के जरिए कहा,
देसाई ने अदालत से देशभर में माल्या की संपत्ति जब्त करने संबंधी कार्रवाई के खिलाफ आदेश जारी करने का अनुरोध किया. हालांकि, अदालत ने याचिका पर कोई अंतरिम राहत देने से मना कर दिया. एक विशेष अदालत ने जनवरी में माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के प्रावधानों के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था.
माल्या की याचिका का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील डी. पी. सिंह ने विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि अधिनियम बिल्कुल भी गलत नहीं है.
सिंह ने कहा, "यह अधिनियम कठोर नहीं है. वास्तव में, यह अधिनियम अभियोजन एजेंसियों को अपने दम पर कार्रवाई करने से रोकता है. संपत्तियों की कुर्की सहित हर चीज के लिए, हमें अदालत का आदेश हासिल करना होता है, जो सभी पक्षों को सुनने के बाद ही पारित किया जाता है."
ईडी के वकील ने कहा,
कोर्ट ने कहा, "हम समझते हैं कि यह कानून थोड़ा कठोर है. लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि यह कठिन परिस्थितियों से संबंधित है."
हालांकि, कोर्ट ने अधिनियम को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका का जवाब देने के लिए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)