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माल्या ने कहाः भगोड़ा अपराधी घोषित करना आर्थिक मृत्युदंड देने जैसा

माल्या ने कहा- मेरी संपत्ति पर मेरा ही नियंत्रण नहीं है

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भारत
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 विजय माल्या
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विजय माल्या
(फोटो: Wikimedia Commons)

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शराब कारोबारी विजय माल्या ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि स्पेशल कोर्ट से उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करना और उसकी संपत्ति को कुर्क करने की अनुमति देना आर्थिक रूप से मृत्युदंड देने जैसा है.

माल्या ने अपने वकील अमित देसाई के जरिए जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच के सामने यह बयान दिया. पिछले साल अगस्त में वजूद में आए भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका के दौरान वकील ने यह दलील दी.

माल्या ने अपने वकील के जरिए कहा,

‘‘ऐसे कर्ज पर मेरा ऋण और ब्याज बढ़ रहा है. मेरे पास इन कर्जों को चुकाने के लिए संपत्ति है लेकिन सरकार ने कर्ज चुकाने के लिए इन संपत्तियों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी. मेरी संपत्ति पर मेरा नियंत्रण नहीं है. इस तरह मुझे आर्थिक मृत्युदंड दिया गया है’’ 

देसाई ने अदालत से देशभर में माल्या की संपत्ति जब्त करने संबंधी कार्रवाई के खिलाफ आदेश जारी करने का अनुरोध किया. हालांकि, अदालत ने याचिका पर कोई अंतरिम राहत देने से मना कर दिया. एक विशेष अदालत ने जनवरी में माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून के प्रावधानों के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था.

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माल्या की याचिका का ईडी ने किया विरोध

माल्या की याचिका का प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील डी. पी. सिंह ने विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि अधिनियम बिल्कुल भी गलत नहीं है.

सिंह ने कहा, "यह अधिनियम कठोर नहीं है. वास्तव में, यह अधिनियम अभियोजन एजेंसियों को अपने दम पर कार्रवाई करने से रोकता है. संपत्तियों की कुर्की सहित हर चीज के लिए, हमें अदालत का आदेश हासिल करना होता है, जो सभी पक्षों को सुनने के बाद ही पारित किया जाता है."

ईडी के वकील ने कहा,

“यह कानून केवल माल्या जैसे लोगों के लिए ही है. यह सामान्य कानून नहीं है. ये कानून उन डिफॉल्टरों को वापस लाने के लिए बनाया गया है, जिन्होंने 100 करोड़ रुपये और उससे ज्यादा की डिफॉल्ट राशि हासिल की है.”

कोर्ट ने कहा, "हम समझते हैं कि यह कानून थोड़ा कठोर है. लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि यह कठिन परिस्थितियों से संबंधित है."

हालांकि, कोर्ट ने अधिनियम को चुनौती देने वाली माल्या की याचिका का जवाब देने के लिए अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया.

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