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डिफेंस एक्सपो 2018ः मेड इंडिया का रहा बोलबाला, जानिए बड़ी बातें

देश की सेना को मजबूती देने के लिए देसी-विदेशी कंपनियों के साथ कई अहम करार भी हुए.

प्रसन्न प्रांजल
भारत
Updated:
(फोटोः PTI)
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(फोटोः PTI)

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अभी हाल ही में चेन्नई में 10वां डिफेंस एक्सपो हुआ. इस एक्सपो में 750 से ज्यादा देसी-विदेशी कंपनियों के साथ 47 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. कई तरह के रक्षा उपकरणों की प्रदर्शनी की गई.

देश की सेना को मजबूती देने के लिए देसी-विदेशी कंपनियों के साथ कई अहम करार भी हुए. इसके अलावा कई बड़ी घोषणाएं भी हुई. ‘भारत: रक्षा निर्माण में उभरता हुआ हब’ थीम पर फोकस इस एक्सपो में 'मेड इन इंडिया' का बोलबाला रहा.

(इंफोग्राफः क्विंट हिंदी)
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छाया रहा ट्राजन तोप

डिफेंस एक्सपो में कई तरह के रक्षा उपकरणों और हथियारों की प्रदर्शनी की गई. लेकिन पूरे एक्सपो में ट्राजन तोप छाया रहा. भारत की एलएंडटी और फ्रांस की कंपनी नेक्स्टर ने मिलकर इस 'ट्राजन तोप सिस्टम' को विकसित किया है.

दोनों कंपनियां इस क्षेत्र में 2011 से ही मिलकर काम कर रही हैं. भारतीय सेना में इस तोप के शामिल होने से रक्षा क्षेत्र में मजबूती आएगी.

स्मर्च रॉकेट ले जाने की परेशानी का निकला हल

भारतीय सेना लंबे समय से स्मर्च रॉकेट लाने-ले जाने के लिए उपयुक्त व्हीकल की खोज कर रही थी. लेकिन अब इसका हल भी निकल गया है. अशोक लीलैंड कंपनी भारतीय सेना को स्मर्च रॉकेट ले जाने वाले भारी क्षमता के ट्रकों (एचएमवी 10x10) को मुहैया कराएगी. कंपनी के मुताबिक एचएमवी 10x10 मेड इन इंडिया है. इसने भारतीय सेना की एक बड़ी परेशानी को खत्म किया है.

  • रक्षा के मामले में दुनिया में चौथे पायदान पर भारत
  • 2185 एयक्राफ्ट और 4426 लड़ाकू टैंक देश के पास
  • स्मर्च रॉकेट ले जाने वाले HMV 10x10 तैयार करेगा अशोक लीलैंड
  • 2025 तक सैन्य सेवाओं से 1,70,000 करोड़ रुपये हासिल करने का टारगेट
  • 110 नए फाइटर प्लेन की खरीदारी प्रक्रिया शुरू
  • 'डिफेंस इनोवेशन हब' की होगी स्थापना

मेड इन इंडिया होगा फाइटर एयरक्राफ्ट

अब फाइटर एयरक्राफ्ट एफ/ए-18 सुपर हॉरनेट पूरी तरह से देश में ही तैयार होगा. बोइंग इंडिया, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स ने देश में ही इस लड़ाकू विमान को बनाने के लिए हाथ मिलाया है.

भारत-रूस के बीच सात करार

भारतीय और रूसी कंपनियों ने रक्षा प्रदर्शनी के दौरान सात करार पर हस्ताक्षर किये. एलएंडटी ने नेवी के लिए समु्द्र के अंदर काम करने वाले यंत्र बनाने के लिए रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ करार किया. इसके अलावा अनंत टेक्नोलॉजी ने रक्षा प्रणालियां विकसित करने के लिए जेएससी कंसर्न रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी के साथ करार किया. इसके अलावा कुछ अन्य भारतीय और रूसी कंपनियों के बीच भी करार हुए.

ये भी पढ़ें- इतने कम रक्षा बजट में जंग का सामना कैसे कर सकेगा भारत?

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Published: 14 Apr 2018,02:59 PM IST

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