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रक्षा मंत्रालय ने कहा है रफाल डील के डिटेल नहीं बताया जा सकता क्योंकि इसमें गोपनीयता की शर्त का पालन करना जरूरी है.
कांग्रेस रफाल सौदे में गंभीर खामी और भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है, जिसके बाद रक्षा मंत्रालय ने सौदे पर लिखित बयान जारी किया है.
पहले संसद के बाहर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रफाल डील पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया. राज्यसभा में आनंद शर्मा ने भी धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान रफाल में घोटाले का आरोप लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा.
रक्षा मंत्रालय ने जो बयान जारी किया है उसके मुताबिक रफाल सौदे के डिटेल और रकम का खुलासा करने की मांग वाजिब नहीं है. 36 रफाल जेट की अनुमानित कीमत पहले ही संसद को बताई जा चुकी है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक आम तौर पर इस तरह के आरोप जवाब देने लायक नहीं होते, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बेहद महत्वपूर्ण मामले पर गुमराह करने वाले बयानों से गंभीर नुकसान हो रहा है.
मंत्रालय के मुताबिक विपक्ष को ध्यान रखना चाहिए कांग्रेस सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान एयरफोर्स को मजबूत करने का काम रुका पड़ा रहा.
कांग्रेस का सवाल: सरकार ने बिडिंग की प्रक्रिया खत्म होेने के बाद दूसरी कंपिटीटर के साथ सौदे पर मोलभाव क्यों नहीं किया?
रक्षा मंत्रालय का जवाब: लगता है अपनी सहूलियत के लिए ये बात भुला दी गई कि उस वक्त की सरकार ने ही बिडिंग प्रक्रिया खत्म होने के बाद कंपनी का प्रस्ताव खारिज कर दिया था और रफाल को नंबर वन बिडर घोषित किया था और फरवरी 2012 में बातचीत शुरू कर दी थी.
कांग्रेस का आरोप: सरकार ने सौदे के लिए शर्तों और कीमत पर अच्छे से मोलभाव नहीं किया
रक्षा मंत्रालय का जवाब: नया रफाल सौदा पिछले सरकार के मुकाबले ज्यादा बेहतर है. 2016 में हुए 36 फाइटर जेट के इस सौदे को लेकर संदेह पैदा किया जा रहा है, लेकिन साफ साफ बताना चाहते हैं कि क्षमता, कीमत, उपकरण, डिलिवरी, रखरखाव और ट्रेनिंग के मामलों पर ये सौदा यूपीए सरकार के वक्त सौदे की शर्तों से ज्यादा बेहतर है. यूपीए सरकार 10 सालों में भी सौदा पूरा नहीं कर पाई जबकि मौजूदा सरकार ने 1 साल में ही सौदे पर मुहर लगा दी.
कांग्रेस का आरोप: सौदे में इतनी जल्दबाजी की क्या जरूरत थी
रक्षा मंत्रालय का जवाब: 36 रफाल फाइटर जेट खरीद का सौदा एयरफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया और ये पूरी तरह रक्षा मंत्रालय की खरीद प्रक्रिया के मुताबिक ही है.
कांग्रेस का आरोप: टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की शर्त क्यों नहीं लगाई गई
रक्षा मंत्रालय का जवाब: विपक्ष को धारण बना रहा है हकीकत उससे एकदम उलट है. रफाल के पुराने प्रस्ताव में भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की कोई शर्त नहीं थी. उस प्रस्ताव में सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस का प्रस्ताव था. उस वक्त सरकार और वेंडर के साथ चर्चा में भी सहमति नहीं बना पाई और सालों तक चली कोशिश बेकार हो गई.
कांग्रेस का आरोप: एविशन में कोई अनुभव नहीं होने वाली भारतीय निजी कंपनी को रफाल मैन्युफैक्चरिंग के लिए ऑफसेट पार्टनर क्यों सिलेक्ट किया गया
रक्षा मंत्रालय का जवाब: अभी तक कोई ऑफसेट पार्टनर नहीं चुना गया है. 2016 के 36 रफाल विमान सौदे के लिए अभी तक कोई भारतीय ऑफसेट पार्टनर नहीं चुना गया है, क्योंकि सौदे की शर्तों के मुताबिक वेंडर भारतीय ऑफसेट पार्टनर को चुनने के लिए स्वतंत्र है और ऑफसेट क्रेडिट के वक्त या ऑफसेट की शर्तों के पूरा होने के एक साल पहले उसे ऑफसेट पार्टनर का ब्यौरा देना होगा.
कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री से रफाल सौदे के बारे में आठ सवाल पूछे थे. राहुल गांधी ने तो सीधे प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया था कि मोदी ने पेरिस यात्रा के दौरान सौदे में बदलाव करवाए.
रक्षा मंत्री सीतरमण ने सौदे का ब्यौरा देने से इंकार करने के बाद राहुल गांधी ने सौदे को लेकर सरकार पर सीधा हमला किया था.
राहुल ने आरोप लगाया था पहली बार रक्षा मंत्री कह रही हैं कि हम विमान की खरीद में खर्च की गई रकम का ब्यौरा नहीं देंगे. ये क्या तरीका है? मैंने गुजरात चुनाव के दौरान कहा था कि रफाल सौदे में बड़ा घोटाला है. मोदी जी ने व्यक्तिगत तौर पर सौदा करवाया है.
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