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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने IITJEE देने के लिए 12वीं में आवश्यक अंकों की सीमा में बढ़ोतरी की है. वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी में फीस बढ़ोतरी के फैसले को आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के खिलाफ बताया.
उन्होंने कहा कि अगर उनके दौर में आईआईटी की फीस इतनी अधिक होती तो वे शायद आईआईटी में पढ़ भी नहीं पाते.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सयुंक्त प्रवेश परीक्षा की पद्धति में एक बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है. इस फैसले के अनुसार साल 2017 से सामान्य श्रेणी के छात्रों को आईआईटी का एंटरेंस एग्जामिनेशन देने के लिए 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कम से कम 75% अंक लाने होंगे. वहीं, एससी और एसटी श्रेणी के छात्रों को 12वीं में कम से कम 65% अंक लाने होंगे.
फिलहाल, आईआईटी जेईई देने के लिए कम से कम 60% लाना आवश्यक है. हालांकि, राज्य शिक्षा बोर्ड से पढ़ने वाले छात्रों को एक सुविधा दी गई है. ऐसे छात्रों के नंबर अपने बोर्ड में शीर्ष 20 परसेंटाइल में होने चाहिए.
वहीं, जेईई में रैंकिंग के लिए 12वीं कक्षा में आए अंकों का 40 प्रतिशत भारांश आवंटित करने की मौजूदा प्रणाली को हटाए जाने का फैसला किया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस फैसले को सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है.
सोशल मीडिया यूजर्स ने इस फैसले के खिलाफ कहा कि एक तरफ तो कहा जाता है कि किसी भी परीक्षा में आए नंबर व्यक्ति की योग्यता का निर्धारण नहीं करते. लेकिन, अब आप लोगों को नंबरों के आधार पर पढ़ने से ही वंचित करना चाहते हैं.
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