advertisement
Delhi Flood: दिल्ली में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर ने राजधानी वासियों की परेशानी बढ़ा दी है. बुधवार (12 जुलाई) को यमुना नदी खतरे के निशान को पार गयी और 45 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया. इस बीच, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना नदी के पास के निचले इलाकों के निवासियों से जगह खाली करने का आग्रह किया है. वहीं, LG वीके सक्सेना ने गुरुवार (13 जुलाई) को बाढ़ की स्थिति पर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की बैठक बुलाई है, जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौजूद रहेंगे.
दिल्ली की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंत्रियों और अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक के बाद सीएम ने कहा, "हमें जीवन, संपत्ति की रक्षा करनी है. यमुना नदी के पास निचले इलाकों में लोगों को हटाने की जरूरत है." उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को बढ़ती स्थिति के बारे में सतर्क कर दिया है.
NDTV के अनुसार, सीएम अरविंद केजरीवाल ने जिलाधिकारियों को यमुना में बढ़ते जल स्तर के कारण यदि आवश्यक हो तो स्कूलों को राहत शिविरों में बदलने का भी निर्देश दिया.
दिल्ली में यमुना बुधवार को 207.71 मीटर तक बढ़ गई, जो 1978 में बनाए गए 207.49 मीटर के अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर गई.
दिल्ली पुलिस ने संकट के मद्देनजर शहर के संवेदनशील हिस्सों में सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने बुधवार को ट्रैफिक डायवर्जन को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है.
नदी के पास के घरों और बाजारों में पानी घुसने के कारण हजारों लोगों को पहले ही सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, जल स्तर और बढ़ने की संभावना है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले दो दिनों में उत्तराखंड में भारी से बहुत भारी बारिश जारी रहने की भविष्यवाणी की है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में, केजरीवाल ने यमुना में जल स्तर को प्रबंधित करने में मदद के लिए हरियाणा में हथिनीकुंड बैराज से सीमित मात्रा में पानी छोड़ने का अनुरोध किया.
राजस्व मंत्री आतिशी ने पुष्टि की कि दिल्ली सरकार नदी के तटबंधों को मजबूत करने और बाढ़ क्षेत्रों से लोगों को निकालने के लिए उपाय कर रही है.
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने निवासियों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित होने और निचले क्षेत्रों से बचने की सलाह जारी की है.
दिल्ली के लिए बाढ़ कोई नई बात नहीं है, 1924, 1977, 1978, 1995, 2010 और 2013 में बड़ी बाढ़ देखी गयी थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)