Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोर्ट से खाली हाथ लौटी निर्भया की मां, आंखों से छलके आंसू

कोर्ट से खाली हाथ लौटी निर्भया की मां, आंखों से छलके आंसू

कोर्ट से खाली हाथ लौटकर क्या बोलीं निर्भया की मां?

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
कोर्ट से खाली हाथ लौटकर क्या बोलीं निर्भया की मां?
i
कोर्ट से खाली हाथ लौटकर क्या बोलीं निर्भया की मां?
(फोटो: TheQuint)

advertisement

निर्भया को अब भी इंसाफ का इंतजार है. निर्भया की मां पिछले एक साल से दोषियों को फांसी दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के चक्कर काट रहीं हैं. शुक्रवार को भी वह इंसाफ की आस में कोर्ट पहुंची थीं, लेकिन उस वक्त उनकी आंखों में आंसू छलक उठे, जब कोर्ट ने दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया.

दरअसल, निर्भया कांड के चार दोषियों में से एक ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की है और अन्य तीन दोषियों ने अब तक राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर नहीं की है, ऐसे में कोर्ट ने कहा है कि जब तक दया याचिका पर कोई फैसला नहीं हो जाता, तब तक दोषियों के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी नहीं किया जा सकता है.

कोर्ट से खाली हाथ लौटकर क्या बोलीं निर्भया की मां?

कोर्ट से खाली हाथ लौटने के बाद निर्भया की मां ने कहा कि वह साल भर से कोर्ट के चक्कर काट रही हैं. लेकिन अब भी उन्हें इंसाफ नहीं मिला है. उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की रिव्यू पिटीशन खारिज हो गई. इसके बाद छह महीने तक हमने इंतजार किया. कुछ पता नहीं चला कि क्या हो रहा है. दिसंबर 2018 में ही हमने अपील की थी कि कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है उसे पूरा किया जाए और दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए.

कोर्ट मजबूर है...सरकार मजबूर है, तो हम कहां जाएं?

निर्भया की मां से जब ये पूछा गया कि कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में तब तक डेथ वारंट जारी नहीं कर सकती है, जब तक कि राष्ट्रपति दोषियों की दया याचिका को खारिज नहीं कर देते हैं. इस पर निर्भया की मां ने कहा-

मैं यही देख रही हूं. इस मामले में कोर्ट मजबूर दिख रहा है. सरकार मजबूर दिख रही है. तो करेगा कौन? मैं साल भर से धक्के खा रही हूं. तो आखिर रिव्यू कैसे करेंगे, उनको कौन कहेगा. कोर्ट अलग मजबूर है, सरकार अलग मजबूर है. वो बैठ के देख रहे हैं कि हमारे पास दया याचिका आएगी तो हम खारिज करेंगे. तो उनको डालने के लिए कौन कहेगा? साल भर से मैं कोर्ट में आ रही हूं. कोर्ट को सोचना चाहिए कि वो उनके वकील को बोले कि जल्दी से उनकी जो भी रिव्यू है...दया याचिका है उसको कराए. 
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

‘अब मेरा कानून से विश्वास उठ रहा है’

निर्भया की मां ने कहा कि अब उनका धैर्य जवाब दे गया है. उन्होंने कहा, ‘हम भी तो इंसान हैं. कोर्ट में सब अपना अपना टाइम रखते हैं. सबका टाइम है कि हम इस टाइम पर एवेलेबल हैं, मैं किस टाइम पर एवेलेबल रहूं. क्या मेरा कोई टाइम नहीं है. अब मेरा कानून से विश्वास उठ रहा है. अगर फांसी की सजा सुनाई गई है, कानून में फांसी है तो उन्हें जल्द से जल्द फांसी दो.’

इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होनी है. कोर्ट ने चारों दोषियों को नोटिस जारी किया है. इसमें दोषियों को अपना स्टेटस बताना होगा कि क्या वो अब दया याचिका दाखिल करना चाहते हैं और अगर नहीं लगाना चाहते हैं तो कोर्ट इस मामले में संज्ञान लेकर अपना फैसला सुनाएगी.

चार में से एक दोषी ने दाखिल की है दया याचिका

बता दें, फांसी की सजा का सामना कर रहे निर्भया केस के चार दोषियों में से एक ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेजी है. न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक, दया याचिका दाखिल करने वाले मुजरिम का नाम विनय कुमार शर्मा है. गिरफ्तारी के बाद से ही विनय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. विनय शर्मा ने नवंबर महीने की शुरुआत में ही दया याचिका दाखिल की है.

दरअसल, 31 अक्टूबर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस केस के दोषियों विनय, पवन, मुकेश और अक्षय को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि उन्होंने अगर इन सात दिनों के भीतर सजा के खिलाफ दया याचिका दायर नहीं की, तो यह मान लिया जाएगा कि वे ऐसा नहीं करना चाहते और उनके खिलाफ फांसी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. नोटिस प्राप्त होने के कई दिनों बाद तक चारों मुजरिम चुप्पी साधे रहे. बाद में विनय कुमार शर्मा ने दया याचिका भेज दी, जबकि अन्य तीनों ने अब तक दया याचिका दाखिल नहीं की है.

बता दें, फांसी की सजा का ऐलान करने के बाद अदालत डेथ वॉरंट भेजता है. इस पर फांसी की तारीख और समय लिखा रहता है.

क्या है निर्भया केस?

दिसंबर 2012 में राष्ट्रीय राजधानी में चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, और विरोध करने पर उसे बुरी तरह मारा-पीटा गया था. गंभीर अंदरूनी जख्मों के कारण उसे बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था, जहां कुछ दिनों बाद उसने दम तोड़ दिया था.

इस मामले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से पांच को अदालत ने दोषी ठहराया और मृत्युदंड सुनायाय इसमें से दोषी राम सिंह ने बाद में जेल में आत्महत्या कर ली थी. छठा आरोपी नाबालिग था, जिसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT