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दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 जून को सुनावाई करते हुए योगगुरू रामदेव को समन किया है. कोर्ट ने दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (DMA) की याचिका सुनते हुए ये निर्देश दिया. DMA ने हाईकोर्ट में दायर की अपनी याचिका में दावा किया था कि रामदेव की कंपनी पतंजलि कोरोनिल किट प्रोडक्ट के जरिए कोरोना वायरस बीमारी को लेकर गलत जानकारी का प्रचार कर रही है.
पतंजलि ग्रुप के संस्थापक रामदेव बीते कई दिनों से एलोपेथी को लेकर अपने विवादों में बने हुए हैं. उनके एलोपेथी के डॉक्टर के मजाक बनाने वाले कई वीडियो वायरल होने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस पर एतराज जताया था. एक वीडियो में रामदेव ने दावा किया था- 'एलोपैथी स्टुपिड साइंस है'.
IMA ने मांग की थी कि 'स्वास्थ्य मंत्री या तो आरोपों को मान लें और मॉडर्न मेडिकल फेसिलिटी को डिसॉल्व कर दें या रामदेव पर मुकदमा चलाया जाए, महामारी रोग अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हो.'
IMA का कहना है कि एक तरफ कोरोना वायरस महामारी के बीच सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मॉर्डन मेडिसिन एलोपैथी से जुड़े डॉक्टर जंग लड़ रहे हैं. लाखों की जान बचाने में डॉक्टर पहली पंक्ति में खड़े दिखते हैं. 1200 डॉक्टर इस लड़ाई में जान गंवा चुके हैं, इसके बावजूद देशभर के एलोपैथी डॉक्टर लोगों की जान बचाने में जुटे हुए हैं. ऐसे वक्त में कुछ लोग दुर्भावनपूर्ण तरीके से और अवसरवादी रुख अपनाते हुए मॉर्डन एलोपैथी ट्रीटमेंट पर कीचड़ उछालने में पीछे नहीं दिख रहे हैं.
सोशल मीडिया पर रामदेव का जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें रामदेव ये बोलते दिख रहे हैं-
क्विंट हिंदी इस वायरल वीडियो और उसके कंटेंट की पुष्टि नहीं करता है.
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