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तबलीगी जमात: दिल्ली पुलिस से HC- आपके ऑफिसर जांच अधिकारी बनने के लायक नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा- किस दिन जमातियों ने मांगी थी शरण, नहीं मिला जवाब

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>तब्लीगी जमात: दिल्ली पुलिस से HC- आपके अधिकारी जांच अधिकारी बनने के लायक नहीं</p></div>
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तब्लीगी जमात: दिल्ली पुलिस से HC- आपके अधिकारी जांच अधिकारी बनने के लायक नहीं

(फाइल फोटो- पीटीआई)

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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सोमवार, 6 दिसंबर को फिर से दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) मामले को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि “ आपके अधिकारी जांच अधिकारी बनने के लायक नहीं हैं...समस्या ये है कि इस मामले में कोई जांच नहीं की गई है”.

ये टिप्पणी जस्टिस मुक्ता गुप्ता की सिंगल-जज बेंच ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की, जिन्होंने मार्च 2020 में कोविड -19 महामारी की पहली लहर के दौरान जमात में शामिल होने वाले जमातियों को कथित रूप से जगह दी थी.

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस से यह जानना चाहा कि क्या पिछले साल तबलीगी जमात की सभा में शामिल होने वाले भारतीय नागरिकों पर कोई प्रतिबंध था, जिन्होंने वैध वीजा पर देश में प्रवेश किया था और जब कोई कोविड-19 संबंधित प्रतिबंध नहीं थे.

गौरतलब है कि याचिकाकर्ताओं पर IPC की धारा 188 , धारा 269 और अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

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हाई कोर्ट ने पूछा- किस दिन जमातियों ने मांगी थी शरण

हाई कोर्ट ने उस विशिष्ट तारीख को बताने में सक्षम नहीं होने के लिए भी जांच एजेंसी की खिंचाई की कि किस दिन तब्लीगी जमात में शामिल हो रहे लोगों ने याचिकाकर्ताओं से शरण मांगी थी.

कोर्ट को याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि दर्ज किए गए FIR में कहा गया है कि मार्च में जमाती किसी समय आए थे, लेकिन कोई सटीक तारीख नहीं दी गई थी कि ये लोग कब आए और आरोपियों के घरों में रहे.

जब अतिरिक्त लोक अभियोजक ने यह बताने की कोशिश की कि इस संबंध में इलाके में जांच की गई थी, लेकिन सटीक जानकारी एकत्र नहीं की जा सकी, जस्टिस गुप्ता ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि ऐसा है, तो इसमें शामिल अधिकारी जांच अधिकारी होने के लायक नहीं हैं.

कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि कोई स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड में नहीं लाई गई. बेंच ने कहा कि जबकि दूसरी स्टेटस रिपोर्ट किसी भी मामले में रिकॉर्ड में नहीं थी, यहां तक ​​कि कई मामलों में पहली रिपोर्ट भी उपलब्ध नहीं कराई गई.

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