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दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ने के बाद हर दिन घट गए इतने लाख यात्री

इस साल 11 अक्टूबर से दिल्ली मेट्रो के किराए में बढ़ोतरी कर दी गई थी. इ

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भारत
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दिल्ली मेट्रो के बढ़े किराए के बाद यात्रियों की संख्या में भारी कमी
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दिल्ली मेट्रो के बढ़े किराए के बाद यात्रियों की संख्या में भारी कमी
(फोटो: iStock)

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इस साल 11 अक्टूबर से दिल्ली मेट्रो के किराए में बढ़ोतरी कर दी गई थी. इसके बाद से हर रोज मेट्रो में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में 3 लाख से ज्यादा की कमी आ गई है. RTI के एक सवाल के जवाब में इस बात की जानकारी मिली है.

आंकड़ों की खास बातें

  • किराया बढ़ाए जाने के बाद यात्रियों की संख्या हर रोज औसतन 24.2 लाख रह गई.
  • सितंबर में ये औसत 27.4 लाख का था. इस हिसाब से यात्रियों की संख्या में 11 फीसदी की कमी.
  • मेट्रो की सबसे व्यस्त ब्लू लाइन पर यात्रियों की कुल संख्या में 30 लाख की कमी आई.
  • नॉर्थ दिल्ली के समयपुर बादली को गुड़गांव से जोड़ने वाला व्यस्त कॉरिडोर येलो लाइन पर यात्रियों की संख्या कुल 19 लाख कम हुई.
बता दें कि मेट्रो के पास दिल्ली-एनसीआर में कुल 218 किलोमीटर का नेटवर्क है.
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15 साल में पहली बार हुई थी ऐसी बढ़ोतरी

एक साल में दो बार बढ़ोतरी मेट्रो के 15 साल के इतिहास में पहली बार हुई थी. अधिकतम बढ़ोतरी 10 रुपये की हुई है. दिल्ली में नए किराए में सबसे ज्यादा मार पड़ रही है 5 से 12 किलोमीटर का सफर तय करने वालों पर. इस कैटेगरी में बढ़ोतरी 20 से सीधे 30 रुपये हो गई है यानी पूरे 50 फीसदी.

नाराज हुए थे यात्री, पार्टियों ने किया था प्रदर्शन

अक्टूबर में किराया बढ़ने के बाद कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर जमकर नाराजगी जताई थी. इससे ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चिट्ठी लिखकर 50-50 का एक फॉर्मूला सुझाया था. दरअसल, डीएमआरसी ने कहा था कि वो किराया न बढ़ाने की मांग मान सकती है बशर्ते दिल्ली सरकार हर साल उसे 3 हजार करोड़ रुपये की भरपाई करे. इस पर केजरीवाल ने 50-50 का फॉर्मूला निकाला.

केजरीवाल ने चिट्ठी लिखकर कहा कि वो 1500 करोड़ सालाना देने को तैयार हैं. बाकी 1500 करोड़ केंद्र से देने की मांग की है. इसके अलावा केजरीवाल ने मेट्रो के अधिग्रहण में भी दिलचस्पी दिखाई थी. उनका कहना है दिल्ली सरकार खुद के दम पर मेट्रो चला सकती है. हालांकि, केन्द्र ने दोनों ही मोर्चों पर उनकी बात पर तवज्जो नहीं दी है. आपको बता दें कि डीएमआरसी में केन्द्र और दिल्ली सरकार की बराबर की हिस्सेदारी है.

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