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देश के पावर प्लांटों में कोयले की किल्लत (Coal crisis) और संभावित ब्लैकआउट को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार आमने-सामने है. केंद्र सरकार ने रविवार, 10 अक्टूबर को आश्वासन दिया कि बिजली क्षेत्र की मांग को पूरा करने के लिए "पर्याप्त" स्टॉक है. लेकिन कुछ ही घंटे बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र पर संकट से आंख मूंदने का आरोप लगाया है.
मनीष सिसोदिया ने मौजूदा कोयला संकट की तुलना COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान देश में हुए ऑक्सीजन की कमी से करते हुए कहा "जब हमारे सामने ऑक्सीजन संकट था, तो वे बेशर्मी से कहते रहे कि ऐसी कोई किल्लत नहीं थी"
मनीष सिसोदिया ने रविवार, 10 अक्टूबर को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यदि आने वाले 24 घंटे में कोयले का स्टॉक नहीं भरा जाता है तो राज्य सरकार को दिल्ली में बिजली कटौती की योजना पर विचार करना होगा. कई बिजली संयंत्रों में कोयले का बड़ा संकट है.
मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “जिस समय देश के कई राज्यों के मुख्यमंत्री आने वाले संकट के लिए केंद्र सरकार को आगाह कर रहे हैं, उस समय केंद्रीय मंत्री कह रहें कि कोई किल्लत ही नहीं है. इससे यह साफ दिख रहा है कि बीजेपी से सरकार नहीं चल रही, वो बहाने ढूंढ रहे हैं.”
रविवार, 10 अक्टूबर को ही केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने देश में कोयले के स्टॉक की किल्लत से जुड़ी तमाम रिपोर्टों और राज्य सरकारों की चिंताओं तो नकारते हुए कहा कि कोई संकट ना कभी था और ना ही कभी होगा .
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हमारे पास 4 दिन के कोयले का स्टॉक है. इसके अलावा हमारे पास रोजाना स्टॉक आता है. हां इतना है कि पहले की तरह 17 दिन का स्टॉक हमारे पास नहीं है लेकिन 4 दिन का स्टॉक है. ये स्थिति इसलिए बनी है क्योंकि हमारी खपत बढ़ी है और हमने आयात कम किया है.
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