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दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के ठीक बाद प्रदूषण के लगभग सारे रिकॉर्ड टूट गए. देर रात करीब 1 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स अपने सबसे अधिकतम स्तर तक पहुंच गया. जिसके बाद हर साल की तरह दिवाली ने इस बार भी दिल्ली की हवा को बेहद जहरीला बना दिया. ये तब हुआ जबकि दिल्ली में ग्रीन पटाखों के अलावा अन्य पटाखों पर बैन था. दिल्ली से जुड़े नोएडा और अन्य इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है.
दिल्ली में सोमवार सुबह करीब 4 बजे रियल टाइम एयर क्वॉलिटी इंडेक्स पर PM 10 का लेवल 999 तक पहुंच गया था. जो एयर क्वॉलिटी मापने वाली मशीन की आखिरी संख्या है. एयर क्वालिटी इंडेक्स की वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली के जवाहलाल नेहरू स्टेडियम, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम, मंदिर मार्ग, पड़पड़गंज, ओखला, आनंद विहार, शहादरा, झिलमिल जैसे इलाकों में इस वक्त AQI 999 तक पहुंचा था. हालांकि पीटीआई के मुताबिक सुबह 3:30 बजे AQI लेवल 323 पर था. वहीं सोमवार सुबह 10 बजे तक प्रदूषण का लेवल करीब 293 था.
यह प्रदूषण का बेहद खतरनाक स्तर है. इससे पहले अंदाजा लगाया गया था कि दिल्ली में इस बार प्रदूषण काफी कम रहने वाला है. लेकिन दिल्लीवालों ने दिवाली कुछ इस तरह मनाई कि आंकड़ा कम होने की बजाय पिछले सालों के रिकॉर्ड को छू गया. बता दें कि दिवाली से ठीक पहले एक सर्वे कराया गया था, जिसमें बताया गया था कि दिल्ली का प्रदूषण पिछले तीन सालों में सबसे कम रहने वाला है.
दिल्ली जैसे महानगर की अगर मुंबई से तुलना करें तो दिवाली के मौके पर यहां पॉल्यूशन काफी कम रहा. जहां दिल्ली में पॉल्यूशन लेवल ने 999 का आंकड़ा छू लिया, वहीं मुंबई में देर रात 2 बजे इसका लेवल 107 था. जो दिल्ली के मुकाबले कई गुना कम है. हालांकि दिल्ली में पराली आदि की समस्याओं से भी पॉल्यूशन का मीटर चढ़ता है.
दिल्ली में एयर क्वॉलिटी के इस खतरनाक स्तर पर जाने के लिए पटाखों के अलावा हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली भी जिम्मेदार है. किसान लगातार पराली जला रहे हैं, जिसका धुआं हवा के जरिए दिल्ली-एनसीआर तक पहुंच रहा है. हरियाणा में दिवाली की देर रात एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 279 रहा. जो बेहद खराब है.
दिल्ली में इस बार भले ही कम प्रदूषण और कम पटाखे जलाने का दावा किया गया हो, लेकिन रात 11 बजे तक 24 घंटों में आग लगने के 225 से ज्यादा मामले सामने आ चुके थे. पिछले साल दिवाली के मौके पर फायर ब्रिगेड को 256 कॉल गई थीं.
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में लेवल 0 से लेकर 50 तक सबसे अच्छा माना जाता है. इसके बाद 51 से लेकर 100 तक ठीक और 101 से लेकर 200 तक मध्यम स्तर का माना जाता है. लेकिन इसके बाद हवा जहरीली होने लगती है. 200 से 300 तक खराब और 300 से पार जाने पर ये बेहद खराब होता है. वहीं अगर AQI 400 पार चला जाता है तो ये खतरनाक की श्रेणी में आ जाता है. दिल्ली में कई बार AQI इस लेवल से काफी ऊपर पहुंच चुका है.
हवा की गुणवत्ता में 'गंभीर और इमरजेंसी ' के पैमाने का मतलब है कि लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का गंभीर असर है. इससे खासतौर पर सांस लेने में दिक्कत होती है.
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