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हेड कॉन्सटेबल सीमा, जिन्होंने गुमशुदा बच्चों को परिवार से मिलाया 

ढाका ने ऐसे भी कई मामलों पर काम किया जिसमें टीनेज बच्चों ने घर पर मामूली लड़ाई के बाद घर छोड़ दिया.

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दिल्ली के समयपुर बादली पुलिस थाने में तैनात एक महिला हेड कांस्टेबल को उनकी कार्य निष्ठा और ईमानदारी को देखते हुए आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन (बिना बारी के तरक्की) मिला है. हेड कांस्टेबल सीमा ढाका को यह इनाम लापता हुए 76 बच्चों को ढूंढने के बाद मिला है. दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव की ओर से घोषित प्रोत्साहन स्कीम के तहत उन्हें प्रमोशन दी गई है. सीमा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने वाली दिल्ली पुलिस की पहली कर्मचारी बन गई हैं.

उन्होंने 76 लापता बच्चों का पता लगाया है, जिनमें से 56 बच्चे 14 साल से कम उम्र के हैं. इन लापता बच्चों को न केवल दिल्ली, बल्कि अन्य राज्यों जैसे पंजाब और पश्चिम बंगाल से भी खोजा गया है.

दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पीआरओ अनिल मित्तल ने कहा, “दिल्ली के विभिन्न पुलिस थानों से इन 76 बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी, जिन्हें महिला हेड कांस्टेबल सीमा ढाका ने ढाई महीने में ईमानदारी और मेहनत से किए गए प्रयासों से ढूंढ निकाला.”

(फोटो: ट्विटर/दिल्ली पुलिस)
“बच्चों को अपने परिवार के साथ देखकर मुझे काफी खुशी मिल रही है. मैं खुश हूं कि पुलिस कमिश्नर ने मेरे काम को सराहा. इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी.”
इनाम मिलने पर ढाका ने ANI से कहा

गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिए पुलिस ने जारी की थी स्कीम

पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने अगस्त में दिल्ली में लापता बच्चों को ढूंढने और उनके माता-पिता को सौंपने के लिए पुलिस को प्रोत्साहित किया. इस दौरान उन्होंने इस काम को जल्द पूरा करने वाले पुलिसकर्मियों को बिना बारी की तरक्की देने का भी वादा किया.

श्रीवास्तव के ऐलान के मुताबिक, किसी कांस्टेबल या हेड कांस्टेबल को एक वर्ष के अंदर 14 वर्ष से कम उम्र के कम से कम 50 बच्चों की खोज निकालने पर आउट-ऑफ-टर्न प्रमोशन दिया जाएगा. इसके अलावा शर्त यह भी थी की इन बच्चों में से 15 बच्चों की उम्र आठ साल से कम होना अनिवार्य था.

इस आदेश ने गुमशुदा बच्चों का पता लगाने में काफी सकारात्मक परिवर्तन लाया है और अगस्त 2020 से अधिक से अधिक बच्चों का पता लगाया गया है.

2019 के आंकड़ों के मुताबिक, गुमशुदा हुए 5412 बच्चों में से 3336 बच्चों का पता लगाया गया है, यानी गुमशुदा बच्चों में से 62 प्रतिशत का पता दिल्ली पुलिस ने लगाया है. इस साल अक्टूबर तक 3507 लापता बच्चों में से कुल 2629 बच्चों का दिल्ली पुलिस ने पता लगाया है.

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दिनभर लापता बच्चों के मामलों पर काम किया

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ढाका ने 3 जुलाई 2006 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था. प्रमोशन के बाद उनकी पोस्टिंग साउथ-ईस्ट दिल्ली में हो गई थी. 2012 में उन्हें आउटर डिस्ट्रिक्ट में पोस्टिंग मिली. उनके पति भी दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्सटेबल हैं और रोहिणी में पोस्टेड हैं.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ढाता ने दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों के बच्चों को रेसक्यू किया. उन्होंने कहा कि वो इन केसों पर सालों से काम कर रही थीं, और उनके सीनियर्स ने भी इसपर काम करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया.

ढाका ने पब्लिकेशन से कहा, “मेरे सीनियर्स और टीम के सदस्यों ने ये प्रमोशन पाने में मेरी मदद की. मैं एक मां हूं, और मैं कभी नहीं चाहूंगी कि किसी को अपना बच्चा खोना पड़े. हमने गुमशुदा बच्चों के केसों पर रोजाना दिनभर काम किया.”

ढाका ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके लिए सबसे मुश्किल केस पश्चिम बंगाल से एक बच्ची को रेस्क्यू करना था. उन्होंने बताया कि अक्टूबर में हुए इस ऑपरेशन में, बच्चे को ट्रेस करने के लिए पुलिस की टीम को बाढ़ के दौरान दो नदियों को नाव से पार करना पड़ा था.

ढाका ने ऐसे भी कई मामलों पर काम किया जिसमें टीनेज बच्चों ने घर पर मामूली लड़ाई के बाद घर छोड़ दिया और बाद में वो नशे की काली दुनिया के शिकार हो गए.

सोशल मीडिया पर तारीफ

सीमा ढाका की तारीफ में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने लिखा, "महिला हेड कॉन्सटेबल, इंसेन्टिव स्कीम के तहत 3 महीने में 56 बच्चों को रेसक्यू करने पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाने के लिए बधाई की हकदार हैं. इस जज्बे को सलाम."

दिल्ली पुलिस ने भी ट्विटर पर लिखा, "उनकी कोशिश से, वो कई प्रभावित परिवारों के चेहरे पर खुशी लेकर आईं. दिल्ली पुलिस को उन पर गर्व है."

एक्टर ऋचा चड्ढा ने भी ट्वीट कर उन्हें बधाई दी.

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने भी सीमा ढाका की तारीफ की है. लोगों ने उनके जज्बे और काम के प्रति निष्ठा को सलाम किया है.

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