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दिल्ली पुलिस ने 45 लाख पूर्व सैनिकों के डेटाबेस से जुड़ी रक्षा मंत्रालय की शिकायत पर एक प्राइवेट कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. मंत्रालय की शिकायत के मुताबिक ईसीएचएस स्मार्ट कार्ड के लिए पूर्व सैनिकों की निजी जानकारी रखने वाले डेटाबेस को, कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी कथित रूप से कंपनी ने वापस नहीं किया है.
इस मामले का खुलासा आरटीआई आवेदनों और इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता कोमोडोर लोकश बत्रा (रिटायर्ड) की ओर से दायर ‘फॉलोअप’ के जरिए हुआ.
पीटीआई के मुताबिक, कोमोडोर बत्रा को हाल ही में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने ईमेल के जरिए ये जानकारी दी थी.
बत्रा ने आरटीआई एप्लिकेशन के जरिए इस मामले से जुड़ी ‘फाइल नोटिंग्स’ मांगी थीं.
बत्रा की आरटीआई के जवाब में मिली सूचनाओं से पता चलता है कि ‘‘फर्म की ओर से ‘गोपनीयता सर्टिफिकेट’ के तौर पर किसी भी लिखित पुष्टि के अभाव में, ईसीएचएस लाभार्थियों के डेटाबेस की सुरक्षा की पुष्टि नहीं की जा सकती है.’’
मंत्रालय ने कहा कि ईसीएचएस के स्मार्ट कार्ड के लिए स्कोर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एसआईटीएल) को 2010 में पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, लेकिन 2015 में इसके पूरा होने के बाद, कंपनी ने डेटाबेस, सोर्स कोड-की और कम्प्यूटर एप्लिकेशन वापस नहीं किए.
साथ ही दावा किया है कि न तो एसआईटीएल ने व्यक्तिगत डेटा वापस किया और न ही इस बात की पुष्टि की कि यह उनके पास नहीं है. मंत्रालय ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने सोर्स कोड भी वापस नहीं किया, जो डेटाबेस में बदलाव करने के लिए जरूरी है.
पूर्व सैनिक कल्याण विभाग में अंडर सेक्रेटरी एके कर्ण ने जवाब में कहा, ‘‘आपके ईमेल के संदर्भ में, आपको सूचित किया जाता है कि मैसर्स स्कोर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों और कर्मचारियों के खिलाफ केन्द्रीय संगठन, ईसीएचएस ने 19 दिसंबर, 2019 को पुलिस थाना, सदर बाजार, दिल्ली कैंट में एफआईआर दर्ज कराई है.’’
कम्पट्रोलर और ऑडिटर जनरल (CAG) की 215 की रिपोर्ट के मुताबिक, ईसीएचएस के एमडी औऱ स्कोर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी लिमिटेड के बीच स्मार्ट कार्ड तैयार करने के लिए 2004 में एक समझौता हुआ था. इसके तहत 89.99 रुपये की दर से कार्ड तैयार किए जाने थे, जो 5 साल के लिए वैध होते. इसे बाद में एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था.
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