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दिल्ली दंगों की FIR 59 में दिल्ली पुलिस की तरफ से एक नई चार्जशीट दायर की गई है. ये FIR कथित साजिश से संबंधित है. चार्जशीट 'मुस्लिम दंगाइयों' पर 'बिना किसी उकसावे' के पुलिस और गैर-मुस्लिमों पर हमला करने का आरोप लगाती है. चार्जशीट मुस्लिम समुदाय पर 'एक बड़ी साजिश' के तहत CCTV कैमरों को हटाने का भी आरोप लगाती है.
हालांकि, दिल्ली दंगों का केस देख रहे वकीलों ने इन आरोपों पर पुलिस की आलोचना की है. हिंसा से जुड़े कई मामले देख रहे महमूद प्राचा ने कहा कि 'सप्लीमेंट्री चार्जशीट पुलिस की अक्षमता दिखाती है.'
सप्लीमेंट्री चार्जशीट दावा करती है कि 'मुस्लिम दंगाईयों' ने पुलिस और गैर-मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा दूसरी तरफ से बिना किसी बदले या उकसावे के की थी.
चार्जशीट में कहा गया कि गैर-मुस्लिमों के रिहाइश के 'हॉटस्पॉट्स' पर अगले दिन जो PWD कैमरे लगाए गए थे, उनसे जो फुटेज मिली है वो दिखाती हैं कि 'जिंदगी दूसरी तरफ होने वाली गतिविधियों से बेफिक्र और शांत थी.'
चार्जशीट के मुताबिक, 'मुस्लिम दंगाइयों' ने एक नाबालिग का इस्तेमाल कर वजीराबाद रोड पर बढ़ने से पहले महत्वपूर्ण CCTV कैमरों को पावर सोर्स से डिसकनेक्ट कर दिया. चार्जशीट कहती है कि इस रोड पर एक पुलिस अफसर की बर्बर हत्या की गई.
दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि दंगे 'मुख्य साजिशकर्ताओं और मास्टरमाइंड' ने सोच-समझकर और पूर्व योजना के साथ किए गए.
पुलिस के नैरेटिव के मुताबिक, लोगों के जमा होने से पुलिस और अर्धसैनिक बल 'चौंक' गए थे और उन पर 'हमला' किया गया.
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि दंगाइयों ने 'बड़े स्तर पर पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया और बर्बाद किया.'
FIR 59 में आरोपी गुलफिशा फातिमा का केस देख रहे वरिष्ठ वकील महमूद प्राचा ने दिल्ली पुलिस की चार्जशीट की आलोचना की है.
प्राचा ने पूछा, "ये चार्जशीट पुलिस की अक्षमता दिखाती है. वो ये मुद्दा तभी उठा सकते थे, अब क्यों उठा रहे हैं? जिससे मामला गरम रहे?"
प्राचा ने पुलिस पर अपने अफसरों को बचाने का आरोप लगाया. प्राचा ने कहा, "वो दिल्ली सरकार से 24 फरवरी के बाद की घटनाओं की CCTV फुटेज मांग सकते थे लेकिन उन्होंने अपने अफसरों को बचाने के लिए ऐसा नहीं किया."
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