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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ ही अस्पतालों में सांस संबंधी परेशानी वाले मरीजों की भीड़ बढ़ गई है. डॉक्टर्स स्थानीय लोगों, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को जितना हो सके घर के अंदर ही रहने की सलाह दे रहे हैं.
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर शुक्रवार को ‘अति गंभीर’ स्थिति में पहुंच जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रदूषण नियंत्रण बॉडी EPCA ने दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है और निर्माण गतिविधि पर 5 नवंबर तक पाबंदी लगा दी है.
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘आंखों से पानी आने, खांसी, सांस में परेशानी, एलर्जी, अस्थमा की परेशानी बढ़ जाने , दिल संबंधी परेशानियों जैसी शिकायतों के साथ मरीज आ रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तो इससे बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सबसे बुरा असर पड़ता है. वातावरण में पोल्यूटेंट्स के उच्च स्तर से फेफड़े पर असर पड़ने के अलावा नसों में सूजन आ जाती है जिससे आर्ट्रीज सख्त हो जाती हैं. इससे पहले से ही रोगों के कारण जोखिम का सामना कर रहे व्यक्तियों में दिल का दौरा पड़ सकता है.
एम्स के जेरीऐट्रिक्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर विजय गुर्जर ने कहा कि प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न दिक्कतों का सामना कर रहे बुजुर्ग मरीजों की संख्या में करीब 20-25 फीसदी वृद्धि हुई है.
उन्होंने कहा कि जिन मरीजों को बस दवा देकर सही किया जा सकता था, उन्हें अब भर्ती करने की जरूरत हो रही है.
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