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दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों के मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए 18 लोगों के खिलाफ राजद्रोह के अपराध का संज्ञान लिया है. जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद समेत 18 लोगों पर देशद्रोह (धारा 124 ए), समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने (आईपीसी की धारा 153 ए), अपहरण (109) और आपराधिक साजिश (धारा 120 बी) के आरोप हैं.
एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने सभी आरोपियों के आरोप पत्र में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 196 के तहत दायर एक मंजूरी के आधार पर इन अतिरिक्त अपराधों का नोटिस लिया. अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आरोप पत्र की एक कॉपी आरोपियों को एक पेनड्राइव में उपलब्ध कराई जाए.
अदालत ने पहले यूएपीए और आईपीसी की कुछ धाराओं के तहत अपराधों का संज्ञान लिया था, जिसमें दंगा (धारा 147 और 148), गैरकानूनी असेंबली (149), सबूत गायब होने (201), आदि शामिल थे.
सभी आरोपियों पर सीएए के विरोध में प्रदर्शनों के जरिए आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, समाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद भी शिकायत की सुनवाई के दौरान मौजूद थे. उन्होंने शिकायत की है कि मीडिया का एक वर्ग उनके खिलाफ 'मीडिया ट्रायल' कर रहा था. हालांकि इससे पहले भी कोर्ट ने मीडिया हाउस को सही रिपोर्टिंग करने की बात कही थी.
एडिशनल सेशन जज ने कहा कि एक अभियुक्त और दोषी के बीच बहुत बड़ा अंतर है. इसके अलावा, अदालत ने आरोपी आसिफ इकबा पर जेल में दुर्व्यवहार के आरोपों से संबंधित तिहाड़ जेल से मेडिकल रिपोर्ट भी मांगी.
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