Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Delhi Riots: 71 साल की मनोरी का मौत से सामना, परिवार अब भी सदमे में

Delhi Riots: 71 साल की मनोरी का मौत से सामना, परिवार अब भी सदमे में

जब हम सभी कूद कर पड़ोसी के घर पहुंचे तब जा कर उनकी जान बच पाई.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>दिल्ली दंगा पीड़ित</p></div>
i

दिल्ली दंगा पीड़ित

(Image: The Quint)

advertisement

फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों को याद करते हुए 71 साल की मनोरी ने मौत के साथ हुए सामने को याद किया जब पूर्वोत्तर दिल्ली के गोकुलपुरी में उनके घर पर कथित तौर पर एक भीड़ ने हमला कर दिया. उनके घर पर लोगों की भीड़ ने आग लगा दी थी, घर पर मनोरी अपनी बेटी और दो पोतों के साथ थीं. जब वो सभी कूद कर पड़ोसी के घर पहुंचे तब जा कर उनकी जान बच पाई.

मनोरी के पोते आशिक ने बताया कि, घर पर कई सारी चाजें जल कर राख हो गई थी जिसे अभी बदला गया है. डर के कारण अब मनोरी ने अपने घर लोहे का दरवाजा लगवाया है. आशिक ने कहा "उस दिन कई लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी और वो लोग जय श्री राम का नारा लगा रहे थे. हमें लगा कोई रैली निकाल रहे हैं. जब शाम को बहुत भीड़ जम गई तो वो नारे लगाने लगे कि मुसलमानों को बाहर निकालो. फिर उन्होंने वहां की बाइकों में आग लगाई कुछ लोगों को मार कर नाले में फेंका. फिर 25 तारीख को पुलिस आई तब वहां कोई नहीं था पुलिस के जाते ही भीड़ जम गई और वो कहने लगे कि 6.30 बजे लाइट जाएगी तब मारेंगे और उसे बाद लाइट चली गई.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
मनोरी ने बताया कि हमारे घर लोग घुस गए आग लगा दी, सामान को लूट लिया, उन्होंने कुछ नहीं छोड़ा सब लूट ले गए.

मनोरी और आशिक कहने लगे कि अम्मा को ऊंचाई से कूदना पड़ा तब उनकी जान बची, उन्हें लोगों ने लटका दिया था. लेकिन नीचे खड़े लोगों ने उन्हें बचा लिया.

दंगाईयों की इस भीड़ में शामिल दिनेश यादव को दोषी पाया गया.

आशिक ने बताया कि, "मेरी बहन शाहिदा को सदमा लगा है जब से हमने उस भीड़ को एक आदमी को मारते हुए देखा, उसका सर फाड़ दिया गया था."

मनोरी का परिवार उसके बाद अपने रिश्तेदारों के घर चला गया था फिर दो महीने बाद लौटा, अब मनोरी अपना घर एक एनजीओ के माध्यम से बनवाने में सक्षम हुई हैं. लेकिन अपने नुकसान से वो उबर नहीं पाई हैं. उनका पहले दूध का काम था लेकिन अब काम बदलना पड़ा है क्योंकि दंगों के दौरान उन्हें भारी नुकसान हो गया था. सरकार ने पैसा दिया था लेकिन वो सब लॉकडाउन में खत्म हो गया.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT