Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019‘कर्ज चुकाना है’: दिल्ली दंगे के पीड़ित को 5 महीने बाद मिला मुआवजा

‘कर्ज चुकाना है’: दिल्ली दंगे के पीड़ित को 5 महीने बाद मिला मुआवजा

शान मोहम्मद के पैर में गोली लगी थी

अस्मिता नंदी
भारत
Published:
शान मोहम्मद के पैर में गोली लगी थी
i
शान मोहम्मद के पैर में गोली लगी थी
(फोटो: Altered By Quint) 

advertisement

“मुझे अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए लोन लेना पड़ा. मेरे पास खुद के दम पर अपने तीसरे बच्चे को दुनिया में लाने के पैसे नहीं थे.”

दिल्ली हिंसा में शान मोहम्मद के पैर में गोली लगी थी और उन्हें मुआवजे के पैसे के लिए पांच महीने से ज्यादा इंतजार करना पड़ा. AAP सरकार ने इस मुआवजे का ऐलान किया था.

वो हिंसा के उन शिकार लोगों में से एक हैं, जो मुआवजे की प्रक्रिया को तेज कराने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट गए थे. शान मोहम्मद की याचिका में कहा गया था कि जरूरी कागज जमा करने के बावजूद उनकी मुआवजे की एप्लीकेशन पर कार्रवाई नहीं हो रही है.

शान की जांघ की तीन सर्जरी हो चुकी हैं और अभी दो और होनी हैं. उन्होंने कहा, "दिल्ली दंगों के बाद मैंने सिर्फ अपना एक पैर ही नहीं खोया, बल्कि पैसा कमाने का जरिया और मेरे परिवार की स्थिर भविष्य की उम्मीद भी खो गई है."

(फोटो: Arranged By Quint) 

दिल्ली सरकार की स्कीम के मुताबिक, सभी विक्टिम को 25,000 रुपये का मुआवजा तुरंत दिया जाना था और बाकी की राशि आकलन के बाद दी जानी थी. स्कीम के मुताबिक, गंभीर चोटों की वजह से शान मोहम्मद को 2 लाख रुपये मिलने थे.

ये मेरे पर कोई अहसान नहीं किया जा रहा है. मुझे इस पैसे की जरूरत थी जब मैं पांच महीनों से ज्यादा समय तक आंशिक रूप से पैरालाइज रहा था और अपने परिवार का पेट भरने के लिए एक्टिविस्टों और NGOs पार निर्भर था. मुझे अब उन्हें पैसा लौटाना है. 
शान मोहम्मद
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

24 फरवरी की रात क्या हुआ?

“सीलमपुर इलाके में तनाव शुरू होने के बाद मैंने अपने पड़ोस के घर से चीखने की आवाज सुनी. कुछ लोग छत पर चढ़ गए थे और घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे. मैं अपने पड़ोसी और उनकी बेटी की मदद करने भागा. मैंने दो लोगों को छत के दरवाजे के पास मास्क पहने देखा. बिना कुछ सोचे मैं उनसे भिड़ गया. और फिर गोली चली.”

इसके बाद शान मोहम्मद को शास्त्री पार्क के जगप्रवाह अस्पताल ले जाया गया और एक एमएलसी केस दर्ज किया गया. अस्पताल ने शान का इलाज न कर पाने की असमर्थता जताई तो उन्हें सेंट स्टीफेंस अस्पताल ले जाया गया, जहां वो 9 मार्च तक एडमिट रहे.

याचिका के मुताबिक, उन्होंने मार्च के पहले हफ्ते में ही FIR दर्ज कराई और मुआवजे के लिए अप्लाई किया था.

सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा था, “वित्त वर्ष बदलने से दंगा पीड़ितों को दिए जाने वाले मुआवजे का पिछले बजट लैप्स हो गया है और नया बजट मांगा गया है.” 

हालांकि, 8 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा, "इसमें कोई शक नहीं कि याचिकाकर्ता को गंभीर चोटें आई हैं. मुआवजा रिलीज करने में किसी भी देरी का कोई कारण नहीं है." जज ने आदेश दिया कि शान मोहम्मद को दिल्ली सरकार की स्कीम के मुताबिक 10 दिन के अंदर मुआवजे की रकम दी जाए.

1000 से ज्यादा पीड़ितों को मुआवजे का इंतजार: सरकार

क्विंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि दिल्ली दंगों के कई पीड़ितों को लॉकडाउन के दौरान बेसहारा छोड़ दिया गया था. नॉर्थईस्ट दिल्ली के डीएम शशि कौशल ने क्विंट को बताया कि 1000 से ज्यादा फॉर्म अलग-अलग केटेगरी में पेंडिंग हैं और अथॉरिटीज ने मुआवजा देना शुरू कर दिया है.

दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर एक विज्ञापन कहता है कि मुआवजा फॉर्म दाखिल करने की आखिरी तारीख 25 जुलाई थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT