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रोहिणी कोर्ट में ताबड़तोड़ फायरिंग, पहले भी हो चुके हैं ऐसे खूनी गैंगवार

Rohini Court Shootout| यह पहली दफा नहीं है जब कोर्ट के अंदर गोलियां चली हों

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>क्राइम सीन का प्रतीकात्मक फोटो&nbsp;</p></div>
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क्राइम सीन का प्रतीकात्मक फोटो 

(फोटो: iStockphoto)

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दिल्ली (Delhi) की रोहिणी कोर्ट (Rohini Court) में हुए शूटआउट ने सनसनी मचा दी है. गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ ​​गोगी की शुक्रवार दोपहर रोहिणी कोर्ट के अंदर प्रतिद्वंद्वी सुनील उर्फ ​​टिल्लू ताजपुरिया गैंग के दो हथियारबंद हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

गोगी के साथ मौजूद स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस टीम ने जवाबी फायरिंग में दोनों हमलावरों को भी ढ़ेर किया. मिली जानकारी के अनुसार गोगी को पांच-छह गोलियां लगीं और उसे नजदीकी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

पुलिस की तैनाती के बीच हमलावरों के इस दुस्साहस ने कोर्ट के अंदर भी फूलप्रूफ सुरक्षा पर सवाल खड़े किये हैं. बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के उपाध्यक्ष राकेश शेरावत ने रोहिणी कोर्ट में हुई गोलीबारी को एक बड़ी सुरक्षा चूक बताया है.

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब कोर्ट में घुसकर बदमाशों ने गैंगवार को अंजाम दिया हो. इससे पहले भी कोर्ट रूम में ऐसे गैंगवार होते आए हैं. डालते हैं नजर हाल के ऐसे ही कुछ कुख्यात ‘कोर्ट शूटआउट’ पर.

द्वारका कोर्ट

12 जुलाई 2021 को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के द्वारका कोर्ट परिसर में एक वकील के चैंबर के बाहर हुए विवाद के बाद 45 वर्षीय एक व्यक्ति की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई.

पुलिस ने पीड़ित की पहचान स्विकार लूथरा के रूप में की, जिसके खिलाफ धोखाधड़ी और जबरन वसूली सहित कम से कम पांच आपराधिक मामले दर्ज थे.
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बिजनौर कोर्ट में जज के सामने फायरिंग

बिजनौर के एक कोर्टरूम में 18 दिसंबर 2019 को उस समय दहशत फैल गई जब एक व्यक्ति ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर अपने पिता की हत्या के आरोपी व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके तुरंत बाद पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया था.

शूटआउट के वक्त चीफ जुडिशल मजिस्ट्रेट योगेश कुमार एक दर्जन से अधिक वकीलों के साथ मौजूद थे.

शाहनवाज (40) पर 28 मई 2018 को नजीबाबाद में प्रॉपर्टी डीलर और बसपा नेता हाजी एहसान और उनके भतीजे शादाब की हत्या का आरोप था. पुलिस ने हत्या के मामले में गांव कनकपुर शाहनवाज निवासी दानिश और शूटर अब्दुल जब्बार को गिरफ्तार किया था.

हजारीबाग कोर्ट में कई राउंड फायरिंग

हजारीबाग की निचली अदालत परिसर के अंदर 2 जून 2015 को एक व्यक्ति ने एके 47 से 30 राउंड फायरिंग की. उसके निशाने पर था गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव. शूटआउट में सुशील और उसके एक सहयोगी की मौके पर ही मौत हो गई. इसके अलावा दो अन्य घायल हो गए थे, जिनमें से एक की बाद में हॉस्पिटल में मौत हो गई.

सुशील श्रीवास्तव तब पिछले पांच साल से रंगदारी के आरोप में जेल में बंद था. पुलिस ने बताया था कि उसके सहयोगी पर एक अन्य अपराधी की हत्या का आरोप है. दोनों अपने मामलों की सुनवाई में शामिल होने कोर्ट आए थे.

शूटआउट के आरोपी को पकड़ने में पुलिस को 6 साल बाद, जून 2021 में सफलता मिली. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के निवासी अवतार सिंह को अपराध के साजिशकर्ताओं ने उसके शार्प-शूटिंग स्किल के लिए काम पर रखा था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया.

पुलिस के अनुसार हजारीबाग कोर्ट में गोलीबारी को अंजाम देने के बाद अवतार सिंह ने सेना से वॉलन्टरी रिटायरमेंट ली थी.

कड़कड़डूमा कोर्ट

तारीख- 23 दिसंबर 2015, गोलीबारी सुबह करीब 11:15 पर हुई जब एक अपराधी, जिसके खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज थे, उसे कोर्ट रूम नंबर 73 में पेश किया जा रहा था. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जज सहित कोर्टरूम में मौजूद लोगों को कवर लेने के लिए भागना पड़ा.

गोलीबारी में हेड कांस्टेबल राम कुमार को शरीर पर पांच गोलियां लगी थी और उनकी मौत हो गई. फायरिंग में एक अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुआ था कोर्ट रूम के नायब के रूप में तैनात था.

चारों हमलावरों को परिसर में मौजूद वकीलों, वादियों और पुलिस कर्मियों ने पकड़ लिया. उनके पास से दो पिस्टल बरामद हुए थे.

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