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राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) के राजपथ इलाके में मोतीलाल नेहरू मार्ग पर स्थित सुनहरी बाग मस्जिद (Sunehri Bagh Masjid) इन दिनों चर्चा में है. दरअसल नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (New Delhi Municipal Council) ने एक इश्तिहार के जरिए इसको हटाने के सिलसिले में जनता से राय मांगी है. बता दें कि दिल्ली सरकार की 2009 की अधिसूचना के मुताबिक मस्जिद को ग्रेड-III विरासत भवन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
पिछले दिनों जारी किए गए एक नोटिस में, NDMC ने 1 जनवरी तक इस मामले में नागरिकों की आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं. इसमें कहा गया है कि मस्जिद एक चौराहे पर स्थित है और इसकी वजह से इलाके में जाम लग जाता है.स
Indian Express की एक रिपोर्ट के मुताबिक NDMC सूत्रों ने बताया कि मेल एड्रेस chief.architecht@ndmc.gov.in पर तीन सौ से ज्यादा सुझाव आए हैं. ज्यादातर सुझावों में मस्जिद को हटाने का विरोध किया गया है. मुस्लिम संगठनों और अल्पसंख्यक कल्याण निकायों से कई ईमेल आए हुए हैं.
जमात-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने प्रस्तावित कार्रवाई का विरोध करते हुए मीडिया को दिए बयान में कहा कि हम NDMC के मुख्य वास्तुकार द्वारा दिए गए मनमाने पब्लिक नोटिस से बेहद चिंतित हैं.
NDMC की कार्रवाई पर टिप्पणी करते हुए मलिक मोतसिम खान ने कहा कि इस मस्जिद को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दर्जा प्राप्त है और यह दिल्ली के 141 ऐतिहासिक स्थानों की लिस्ट में शामिल है. इसके अलावा इसे धार्मिक महत्व का दर्जा भी प्राप्त है.
उन्होंने आगे बताया कि मस्जिद की सुरक्षा को लेकर कुछ अन्य समझौते भी हुए हैं. साथ ही इस मस्जिद के संबंध में 18 दिसंबर 2023 को दिल्ली हाई कोर्ट का एक फैसला आया था, जिसमें आश्वासन दिया गया था कि इस मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होगा. न्यायालय के आश्वासन के बावजूद इसको तोड़ने के लिए जनता की राय लेना असंवैधानिक है. इस मस्जिद का मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए आखिरी फैसला आने तक 'NDMC' को चाहिए कि मस्जिद से सम्बंधित अपनी बातें कोर्ट में रखे, न कि जनता की राय ले.
मलिक मोतसिम खान ने कहा कि परिषद की यह कार्रवाई 'इबादतगाह अधिनियम 1991 (Places of Worship Act 1991)' के खिलाफ है, जिसमें सभी इबादतगाहों को 1947 की स्थिति में बरकरार रखने कि गारंटी दी गयी है. इन सभी तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए 'NDMC' ने जो जनता की राय मांगी है, उसे जमात असंवैधानिक मानती है और इसीलिए उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और गुजारिश की है कि वह 'NDMC' को मस्जिद के खिलाफ ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने का निर्देश दे.
सुनहरी बाग मस्जिद पर AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ANI से बात करते हुए कहा कि NDMC के द्वारा जारी की गई अधिसूचना पर कहा कि यह अनुच्छेद 25 का उल्लंघन करती है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. यह अनुच्छेद 29 का भी उल्लंघन करता है, जो संस्कृति की सुरक्षा सुनिश्चित करता है. यह वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 51-1ए का भी उल्लंघन करता है, जो कहता है कि वक्फ संपत्ति का अधिग्रहण केवल तभी किया जा सकता है, जब कोई अन्य विकल्प न हो.
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रेसीडेंट मौलाना अरशद मदनी ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि सुनहरी बाग मस्जिद के लिए हर तरह की कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, मस्जिद को गिराना एक साजिश है. बाबरी मस्जिद फैसले के बाद सांप्रदायिक शक्तियों का हौंसला बढ़ गया है, उनकी निगाहें हमारी इबादतगाहों पर हैं. हम मस्जिद की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे, प्रशासन को गैरकानूनी कार्य से बचना चाहिए.
अमरोहा से लोकसभा सांसद दानिश अली ने मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है और कहा है कि मस्जिद की ऐतिहासिक और पुरातात्विक अहमियत है.
विरासत संरक्षण समिति (Heritage Conservation Committee) को एक पत्र लिखते हुए दानिश अली ने कहा कि मस्जिद के "ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व" को देखते हुए, ऐसा "कठोर कदम अनुचित" है.
(फोटो- X/@KDanishAli)
सांसद दानिश अली ने मस्जिद को हटाने की जरूरत पर भी सवाल उठाया और कहा कि सुनहरी मस्जिद चौराहे के आसपास यातायात से जुड़ी कोई समस्या नहीं है.
उन्होंने हेरिटेड कंजर्वेशन कमेटी (HCC) से अपने नोटिस पर पुनर्विचार करने और सुनहरी बाग मस्जिद को हटाने की मंजूरी देने से परहेज करने की गुजारिश की है.
जमात-ए-इस्लामी हिंद उपाध्यक्ष ने कहा कि जमात, भारत सरकार को याद दिलाना चाहेगी कि स्वतंत्रता सेनानी और सांसद सदस्य मौलाना हसरत मोहानी (जिन्होंने 'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा दिया था) संसद सत्र में भाग लेने के दौरान सुनहरी मस्जिद में रुका करते थे.
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