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उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भारी हिंसा की न्यायिक जांच, मृतकों के लिए मुआवजा और कई राजनीतिक नेताओं के भड़काऊ भाषण देने पर केस दर्ज करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भारत सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया है. दूसरे दिन की सुनवाई में सभी पक्षों की दलीलों को सुने जाने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल तय की है.
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली हिंसा मामले में ये याचिका 2 महीने या उससे भी पहले दिए गए बयान के आधार पर दायर की गईं हैं. साथ ही याचिकाकर्ता ने अपने विवेक से सिर्फ 3 भड़काऊ भाषणों का चयन किया है. ऐसे और भी भड़काऊ भाषण मौजूद हैं.
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में जानकारी दी है कि अब तक दिल्ली हिंसा मामले में 106 स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी की गई है. अभी सीसीटीवी फुटेज के आधार पर और गिरफ्तारियां की जा रही हैं. पुलिस ने बताया है कि उनको जो वीडियो मिले हैं उनमें बाहरी लोगों की पहचान की जा रही है. इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने कहा-
दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा, “जांच में पहला काम होता है FIR दर्ज करना. अगर मामले में पुख्ता सबूत नहीं मिलते तो FIR को कैंसल भी किया जा सकता था.”
इसके बाद सीनियर वकील कोलिन गोन्जाल्विस ने दलील देनी शुरू की. गोंजाल्विस ने कहा कि हमें कोई दिक्कत नहीं है अगर भारत सरकार को केस में पार्टी बनाया जाता है. दलील में गोंजाल्विस ने कहा कि एक पार्टी विशेष के लोगों ने लोगों को उत्साहित किया कि ‘जाओ और मारो’. और ये राजनीतिक रैलियों में ये उनकी पार्टी का पसंदीदा नारा भी रहा. उन्होंने कहा कि कोर्ट को यह संदेश देना चाहिए कि भले ही आप कोई भी हों लेकिन आपको इस तरह के बयान देने की इजाजत नहीं होना चाहिए.
दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने आधिकारिक तौर पर बताया है कि दिल्ली हिंसा में अब तक 34 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं पुलिस ने अब तक 106 लोगों को गिरफ्तार किया है. उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसाग्रस्त विभिन्न इलाकों में रात को सुरक्षा बालों ने फ्लैग मार्च किया. वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से लेकर अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया तक नॉर्थईस्ट दिल्ली के हिंसा प्रभावित क्षेत्र पहुंचे हैं. इन्होंने हिंसा में प्रभावित हुए लोगों से बात की है.
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