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रिटायर्ड आईपीएस अफसर और यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के एक्शन पर सवाल उठाए हैं. द क्विंट से बातचीत में विक्रम सिंह ने कहा कि जब हालातों की समीक्षा करें तो बड़ी खामियां निकलकर सामने आती हैं. विक्रम सिंह ने कहा कि पुलिस का तुरंत हस्तक्षेप नहीं करना एक बड़ा सवाल है, पुलिस ने क्यों इंतजार किया, किसके लिए वो इंतजार करते थे?
पूर्व डीजीपी ने कहा कि कोई एहतियातन गिरफ्तारी नहीं की गई और जिन लोगों पर हिंसा फैलाने का शक था, उनकी भी शिनाख्त नहीं की गई. उन्होंने कहा, ‘इंटरनल सिक्योरिटी स्कीम पुलिसवालों के लिए एक बाइबल की तरह होती है और ये जरूरी है कि इसे अच्छे से याद रखा जाए. इसकी रिहर्सल होनी चाहिए महीने में एक बार. हां इसमें कमियां थीं, जो कभी एड्रेस नहीं की गईं. और इसका नतीजा काफी भयानक रहा. सेंस ऑफ सिक्योरिटी बिल्कुल नहीं था.’
'भारतीय न्यायपालिका ने भी सवाल उठाया है: अगर ब्रिटेन या अमेरिका में इस तरह की हिंसा भड़की होती तो क्या होता? किसी ने आदेशों का इंतजार नहीं किया होता. पुलिस को ऑटो-पायलट मोड पर काम करने के जैसे डिजाइन किया जाता है और मुश्किल के वक्त में कहीं से कोई निर्देश की जरूरत नहीं है. आखिरी जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर की है.'
दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में 24 फरवरी को भड़की हिंसा में अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. जान गंवाने वालों में दिल्ली पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल भी शामिल है.
दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर 106 लोगों को गिरफ्तार किया है और 18 एफआईआर दर्ज की है. दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज और ठोस सबूत है, और उपद्रवियों की पहचान की जा रही है. दिल्ली पुलिस ने दो हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं.
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