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"बहुत हुआ सनातन पर वार, अब नहीं सहेंगे वार. सनातनियों बाहर आओ. मरो या मार डालो. बाद में देखी जाएगी. बहुत हुआ. अब जिसका खून न खौला, खून नहीं वो पानी है."
खुद को हिंदुत्व नेता बताने वालीं रागिनी तिवारी उर्फ जानकी बहन ने 23 फरवरी को मौजपुर से एक फेसबुक लाइव में यही कहा था. ये उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़कने से एक दिन पहली की बात है. वीडियो वायरल हो गया था और कई मीडिया आउटलेट ने उन्हें हिंसा का चेहरा बताया था.
चार महीने से भी कम समय के बाद रागिनी तिवारी का फेसबुक अकाउंट ट्रेस नहीं किया जा सका है. दिल्ली पुलिस की तरफ से हिंसा मामले में दायर चार्जशीट में जो विस्तृत घटनाक्रम (क्रोनोलॉजी) है, उसमें भी रागिनी का नाम नहीं है. इस क्रोनोलॉजी में पुलिस ने उन भाषणों और घटनाओं का जिक्र किया है, जिनके बाद हिंसा शुरू हुई थी.
हालांकि, क्विंट को पता चला है कि तिवारी ने सिर्फ ये बयान और भाषण ही नहीं दिए थे. वो 23 फरवरी की रात को इलाके में मौजूद रहीं थीं और अगले दिन जब दिल्ली में हिंसा शुरू हुई, तब भी वो वहीँ थीं.
क्विंट के पास ऐसे शख्स का विस्तृत ब्योरा हाथ लगा है, जो मौजपुर इलाके में हुई घटना का चश्मदीद होने का दावा करता है और साथ ही 23 फरवरी को तिवारी की कथित हरकतों को भी देखा था.
'चश्मदीद' का नाम सुरक्षा कारणों से नहीं बताया गया है.
बयान पर पुलिस का स्टांप है, जिस पर लिखा है, "19/03/20 को प्राप्त किया गया."
उस व्यक्ति के साइन किए हुए बयान के यहां कुछ हिस्से दिए गए हैं:
"फिर करीब रात 10 बजे मोहन नर्सिंग होम के पास वो भाषण दे रहीं थीं और भीड़ नारा लगा रही थी 'रागिनी तिवारी जिंदाबाद', 'देश के गद्दारो को, गोली मारो सालों को', 'मुसलमानों के दो ही स्थान, पाकिस्तान या कब्रिस्तान'.
"रागिनी तिवारी पहली व्यक्ति थीं जिन्होंने हम पर गोली चलाई और वो वहां खड़े एक लड़के के सिर में लगी. इससे वहां कन्फ्यूजन पैदा हो गया. इसके बाद पत्थरबाजी और फायरिंग शुरू हो गई. तब मैं घर भाग गया."
क्विंट इन दावों की सत्यता की जांच नहीं कर सकता.
ABP न्यूज की एक रिपोर्ट इस बयान के कुछ पहलुओं की पुष्टि करती है, खासकर समय की. रिपोर्ट में पुष्टि होती है कि तिवारी उस समय तक इलाके में मौजूद थीं, जब तक कि बयान में बताया गया है. यहां तक कि रिपोर्ट में दिखाया गया कि तिवारी वहां तड़के सुबह तक मौजूद थीं.
हालांकि रिपोर्ट में एक जरूरी खुलासा होता है कि रागिनी तिवारी भी अपने समर्थकों के साथ रोड ब्लॉक कर रही थीं. ये बात पुलिस की चार्जशीट में नहीं है, जिसमें बताया गया है कि सिर्फ एक ही पक्ष रोड ब्लॉक कर रहा था.
रागिनी तिवारी के बारे में ज्यादा पता नहीं है. बस इतनी जानकारी है कि वो मूल रूप से बिहार की रहने वाली हैं और वो एक गौरवान्वित 'मैथिली' होने का दावा करती हैं. ये बोली बिहार के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में प्रचलित है. हालांकि तिवारी का राजनीतिक काम दिल्ली में केंद्रित है. न्यूज 24 को 29 फरवरी को दिए एक इंटरव्यू में तिवारी ने कहा कि वो किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़ी नहीं हैं.
एक और वीडियो में वो खुद ही दावा करती हैं कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में लक्ष्मी नगर से बीजेपी प्रत्याशी अभय वर्मा के लिए कैंपेनिंग की है.
एक और रिपोर्ट के मुताबिक, वो खुद को यति नरसिंहानंद सरस्वती की भक्त बताती हैं. यति नरसिंहानंद सरस्वती ने इस साल के जनवरी और फरवरी में कई विवादित वीडियो बनाए, जिसमें कथित रूप से CAA प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा करने की बात कही गई.
क्विंट ने रागिनी तिवारी का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया. रागिनी ने कहा कि 'ये सब आरोप निराधार हैं.'
29 फरवरी को न्यूज 24 को दिए इंटरव्यू में रागिनी ने किसी भी हिंसा में शामिल होने या भड़काऊ भाषण देने से इनकार किया था.
क्विंट ने दिल्ली पुलिस के PRO एमएस रंधावा और DCP नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली वेद प्रकाश सूर्य से भी संपर्क किया. क्विंट ने पूछा कि क्या पुलिस इन आरोपों की जांच कर रही है या तिवारी के खिलाफ कोई FIR हुई है. लेकिन दोनों ही अफसरों ने जवाब नहीं दिया. उनका जवाब आने के बाद स्टोरी अपडेट की जाएगी.
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