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दिल्ली में 24 फरवरी को भड़की हिंसा में अब तक 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस हिंसा में दिल्ली पुलिस की भूमिका को लेकर भी अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्यों दिल्ली पुलिस ने हिंसा के दौरान कोई सख्त कार्रवाई नहीं की? हिंसा को इतने बढ़ने कैसे दिया गया? एहतियातन कार्रवाई या गिरफ्तारियां क्यों नहीं हुई?
चश्मदीदों से लेकर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं. विक्रम सिंह ने कहा दिल्ली पुलिस ने प्रोफेशनल तरीके से काम नहीं किया, उसे ऑटो-पायलट की तरह काम करना चाहिए.
हाईकोर्ट ने इस बात पर आपत्ति जताई कि दिल्ली पुलिस ने कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर के भड़काऊ भाषणों को लेकर उन पर क्यों कोई केस दर्ज नहीं किया. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा कि पुलिस कमिश्नर को सलाह दें कि वो तीन बेजीपी नेताओं पर कथित तौर भड़राऊ भाषण देने का केस दर्ज करें.
हिंसा पीड़ितों ने भी दिल्ली पुलिस पर समय रहते कार्रवाई न करने का आरोप लगाया. क्विंट ने शिव विहार इलाके के लोगों से बात की, जिन्होंने बताया कि पुलिस ने आने में काफी देर कर दी और आने के बाद भी उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया.
शिव विहार के ही एक निवासी ने बातचीत में बताया कि लोगों ने घरों के ऊपर चढ़कर पथराव किया. पेट्रोल बम, तेजाब, पिस्तौल तक का इस्तेमाल किया गया, लेकिन कई घंटों तक मदद करने कोई नहीं आया. 4-5 पुलिसवालों ने आकर कहा कि वो कुछ नहीं कर सकते. ‘अगर पुलिस होती तो ये नुकसान होने से बचा सकती थी.’
हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस की नाकामी इसी बात से साबित होती है कि हिंसा के दौरान पुलिस के एएसआई को अपने परिवार को बचाने के लिए ड्यूटी छोड़कर घर दौड़ना पड़ा. उसका घर भी शिव विहार इलाके में था, जहां हिंसा भड़क रही थी. अगर समय रहते पुलिस यहां पहुंच चुकी होती तो उसे ऐसा करने पर मजबूर नहीं होना पड़ता.
क्विंट से बातचीत में पूर्व IPS और यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि पुलिस का तुरंत हस्तक्षेप नहीं करना एक बड़ा सवाल है, पुलिस ने क्यों इंतजार किया, किसके लिए वो इंतजार करते थे?
पूर्व डीजीपी ने कहा कि कोई एहतियातन गिरफ्तारी नहीं की गई और जिन लोगों पर हिंसा फैलाने का शक था, उनकी भी शिनाख्त नहीं की गई. दिल्ली पुलिस की चार खामियां गिनाते हुए विक्रम सिंह ने कहा, 'एरिया डॉमिनेशन नहीं था, एहतियातन गिरफ्तारी नहीं की गई, सर्वेलांस-सिक्योरिटी प्रोसीडिंग्स नहीं था और छतों पर तैनाती नहीं की गई.’
उन्होंने कहा कि पुलिस को ऑटो-पायलट मोड पर काम करने के जैसे डिजाइन किया जाता है और मुश्किल के वक्त में कहीं से कोई निर्देश की जरूरत नहीं है.
दिल्ली पुलिस पर कई सवाल उठने के बाद मोर्चा संभालने आए एनएसए अजित डोभाल, जिन्होंने पुलिस का बचाव करते हुए लोगों से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि आगे ऐसा कुछ नहीं होगा. पुलिस कार्रवाई करेगी. लेकिन इस बड़ी हिंसा के बाद लोग अब भी डर के साए में रहने को मजबूर हैं.
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