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पिंजरा तोड़ की 2 सदस्यों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया

छात्राओं के लिए पेश हुए वकील अदित एस पुजारी ने कोर्ट में क्या कहा

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(फोटो: ट्विटर/@MdHamzaSiddiqi1)
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(फोटो: ट्विटर/@MdHamzaSiddiqi1)

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दिल्ली की एक अदालत ने ‘पिंजरा तोड़’ ग्रुप की दो सदस्यों को उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा से जुड़े एक मामले में गुरुवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

बता दें कि ‘पिंजरा तोड़’ की स्थापना साल 2015 में हॉस्टल और पेइंग गेस्ट में छात्राओं के लिए रोक टोक में कमी लाने के मकसद से की गई थी.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ‘पिंजरा तोड़’ से जुड़ी जेएनयू की छात्राओं नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने तब न्यायिक हिरासत में भेज दिया जब पुलिस ने कहा कि जांच के लिए उनकी और हिरासत की जरूरत नहीं है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ''जांच लंबित है...आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है.''

पुलिस ने इससे पहले कोर्ट को बताया था कि मामले में षड्यंत्र का पता लगाने और मामले के बाकी आरोपियों की पहचान करने के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है.

छात्राओं के लिए पेश हुए वकील अदित एस पुजारी ने कोर्ट में कहा कि इन छात्राओं को ‘‘दुर्भावनापूर्ण’’ इरादे से गिरफ्तार किया गया है.

दोनों को बीती फरवरी में जाफराबाद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में बीते शनिवार को गिरफ्तार किया गया था. रविवार को दोनों को अदालत ने मामले में जमानत दे दी थी. अदालत द्वारा आदेश पारित करने के कुछ ही समय बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक अर्जी दायर करके उनसे पूछताछ का अनुरोध किया और हिंसा से जुड़े एक अन्य मामले में उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया.

क्राइम ब्रांच ने आरोपियों की 14 दिन की हिरासत मांगी थी. अदालत ने दोनों को यह कहते हुए दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था कि जांच शुरुआती चरण में है. जिस मामले में उन्हें शनिवार को गिरफ्तार किया गया था वो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 186, 188, 283, 109, 341, 353 के तहत दर्ज किया गया था. जबकि जिस मामले में उन्हें रविवार को गिरफ्तार किया गया वो IPC की धारा 147, 149, 353, 283, 323, 332, 307, 302, 427, 120-बी, 188 के साथ ही हथियार कानून और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया था.

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