Dekha Undekha Hindustan: नोटबंदी के 6 साल, 71.84 फीसदी बढ़ गई नकदी

इस हफ्ते की देखी-अनदेखी खबरें

मुकुल सिंह चौहान
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>देखा-अनदेखा हिंदुस्तान</p></div>
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देखा-अनदेखा हिंदुस्तान

फोटो: क्विंट

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महिला सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, समानता, न्याय ये सारे भारीभरकम शब्द हवा में उड़ा दिए गए हैं, इस मां के दर्द और आंसू को एक पल महसूस करिए, इनकी 19 साल की बेटी के साथ 3 दरिंदों ने बलात्कार किया, गैंगरेप के दौरान उसके शरीर को सिगरेट से दागा और चेहरे पर तेजाब डाला गया. उसके शरीर पर कार में रखे औजारों से हमला किया गया. इसके बाद हत्या कर दी. इस केस में रवि कुमार, राहुल और विनोद को आरोपी बनाया गया था. मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा. दिल्ली हाईकोर्ट ने 19 साल की लड़की से गैंगरेप के मामले में फांसी की सजा सुनाते हुए दोषियों के लिए बेहद तल्ख टिप्पणी की थी.

हाईकोर्ट ने कहा था- ये वो हिंसक जानवर हैं, जो सड़कों पर शिकार ढूंढते हैं.

अब सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस फैसले को पलट दिया है. लोग तो ये कह रहे हैं कि ज़ख्मों पर नमक छिड़क दिया है. अब ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया और ये करते हुए क्या कहा ये भी जान लीजिए. दरअसल जब आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा उसके बाद   14 और 16 फरवरी 2012 को उनके सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए, लिए गए. दिल्ली पुलिस की कारस्तानी देखिए. अगले 11 दिनों तक वो सैंपल पुलिस थाने के मालखाने में पड़े रहे. बिना किसी सुरक्षा के. यानी 27 फरवरी को वो सैंपल CFSL (Center forensic science laboratory)भेजे गए. इसी घोर लापरवाही को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले का आधार बनाया. कोर्ट ने इंसाफ के दुश्मन बने इन लापरवाह पुलिस वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई का फरमान जारी करने के बजाय अपने फैसले में ये कहा कि अदालतें सबूतों पर चलकर फैसले लेती हैं ना कि भावनाओं में बहकर.

अब अगली अनदेखी खबर... नोटबंदी को हुए आज 6 साल हो गए.देश में 21 Oct 2022 तक नकदी का इस्तेमाल 30.88 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. 6 साल पहले जहां लोगों के पास 17.7 लाख करोड़ रुपए नकद थे वहीं अब यह 30.88 लाख करोड़ हो गए हैं. यानी छह साल में नकदी 71.84 फीसदी बढ़ गई. नोटबन्दी और डिजिटल लेनदेन के बावजूद ऐसा हुआ. यह दर्शाता है कि 6 साल बाद भी देश में नकदी का भरपूर इस्तेमाल जारी है.

पैसे रुपये की बातचीत से विजय माल्या याद आ गए, विजय माल्या को भारत लाने की प्रक्रिया लंबी खिचती जा रही है. दो साल पहले ही प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, लेकिन उसके बाद से ये मामला कानूनी पचड़ों में फंसा हुआ है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में भी भारतीय स्टेट बैंक के विजय माल्या से जुड़े कुछ मुकदमे चल रहे हैं. उसकी सुनवाई भी जारी है, लेकिन अब माल्या के वकील ही उनके लिए केस लड़ना नहीं चाहते हैं. कहा गया है कि विजय माल्या का कोई अता-पता नहीं है और उनसे बात नहीं हो पा रही है, ऐसे में उनका केस नहीं लड़ा जा सकता. यानी पहले तो सरकार को नहीं पता था कि माल्या कहां हैं? अब उनके वकील को भी नहीं पता है माल्या कहां हैं? ये वाकई अनदेखा-अनसुना है.

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भारत चीन को पछाड़ देगा, किसमें? जनसंख्या में . संयुक्त राष्ट्र ने विश्व की जनसंख्या को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. उसने कहा है कि 15 नवंबर तक विश्व की जनसंख्या 8 अरब हो जाएगी. 1950 में विश्व की जनसंख्या 2.5 अरब थी, जो अब तीन गुना से ज्यादा हो जाएगी. अनुमान के मुताबिक, साल 2050 तक वैश्विक जनसंख्या 9.7 अरब हो जाएगी. इसके साथ ही व्यक्ति की औसत उम्र में इजाफा होगा. UN के मुताबिक 2023 की शुरुआत में भारत एक नया कीर्तिमान रचने जा रहा है. भारत आबादी में पहले नंबर पर पहुंच जाएगा और चीन दूसरे नंबर पर होगा

उत्तर प्रदेश की बेहतरीन कानून व्यवस्था का हाल तो हम आपको बताते ही रहते हैं, यूपी के प्रयागराज में लवकेश शर्मा नाम के एक युवक को पुलिस एक विवाद में थाने ले गई. एक दिन बाद परिवार के पास पुलिस ने कॉल किया और कहा - अस्पताल आ जाओ, लवकेश अस्पताल में है.

परिवार वाले अस्पताल गए और अस्पताल में लवकेश की लाश पड़ी थी. पुलिस ने लवकेश के परिजनों को बताया - आपके बेटे के साथ हमने कुछ किया नहीं.

भारत के पहले वोटर रहे श्याम सरन नेगी अब इस दुनिया में नहीं रहे.106 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर शोंगठोंग स्थित सतलुज किनारे श्मशान घाट तक ले जाया गया. जहां पर होमगार्ड बैंड बजाकर राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गई. इस दौरान हिमाचल प्रदेश की किन्नौर पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. 1951-52 में जब पहले आम चुनाव हुए थे, तो श्याम सरन नेगी ने सबसे पहले मतदान किया था.

बाईं तरफ पानी की बौछार और दाईं तरफ जलती हुई पराली 

फोटो:PTI

और अब बारी है हफ्ते की तस्वीर की. तस्वीरें कई दिखा रहा हूं लेकिन बिग पिक्चर एक ही है. एक तरफ धुआंदार धुंध को खत्म करने के लिए इंसानों की कोशिश और दूसरी तरफ पैदा होता धुआं. एक तरफ टेम्पररी इलाज दूसरी तरफ परमानेंट बीमारी...जड़ों में दीमक, ऊपर फुनगी पर दवाई का छिड़काव..साल दर साल दिल्ली की तस्वीर और दिल्ली वालों की तकदीर बदलती नहीं.

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