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केंद्र सरकार ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी. मंत्रिमंडल ने देना बैंक और विजया बैंक को सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस विलय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा.
अब सवाल ये उठ रहा है कि विजया बैंक और देना बैंक के बैंक ऑफ इंडिया में विलय का निजी क्षेत्र की दोनों बैंकों के ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा? साथ ही इनके कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा?
इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा,
इन तीनों बैंकों के निदेशक मंडलों ने प्रस्तावित विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली की दरों को अंतिम रूप दे दिया है. विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयर धारकों को इस बैंक के प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे. वहीं देना बैंक के मामले में, उसके शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे. यह योजना एक अप्रैल, 2019 से अस्तित्व में आएगी.
मीडिया से बातचीत में प्रसाद ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी ऋणदाता बनाने के लिये विलय की यह योजना तैयार की गयी है.
बैंको के विलय का असर इन बैंकों के ग्राहकों पर पड़ सकता है. अगर आपका अकाउंट इन तीन बैंकों में से किसी में है तो आपको इन बदलावों का सामना करना पड़ सकता है.
विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा सरकारी क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. विलय के बाद अस्तित्व में आए बैंक का कुल कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपये होगा.
विलय के बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी. विलय की योजना को 30 दिन तक संसद में रखा जाएगा, जिससे सदस्य इस पर गौर कर सकें. सूत्रों ने बताया कि इसे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले रखा जाएगा. शीतकालीन सत्र आठ जनवरी को खत्म हो रहा है. सितंबर, 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली वैकल्पिक व्यवस्था ने तीनों बैंकों के विलय को सैद्धान्तिक मंजूरी दी थी.
साल 2017 में एसबीआई ने अपने पांच अनुषंगी बैंकों का खुद में विलय किया था. इसके अलावा उसने भारतीय महिला बैंक का भी खुद में विलय किया था.
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