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लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी झड़प में एक कर्नल समेत 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बावजूद झारखंड के 10,000 से ज्यादा मजदूर कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. ये प्रोजेक्ट्स बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के हैं.
चीन की सेना ने भारत के पैंगोंग सो के करीब फिंगर एरिया में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रोड बनाने पर आपत्ति जताई है. साथ ही चीन गलवान घाटी में Darbuk-Shayok-Daulat Beg Oldie रोड से जोड़ने वाली एक और सड़क के निर्माण पर भी विरोध जता रहा है.
भारत पहले ही तय कर चुका है कि वो चीन के दबाव में पूर्वी लद्दाख में कोई बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं रोकेगा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 मई को रेलवे से 11 स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम करने को कहा था. ये ट्रेने झारखंड से 11,800 मजदूरों को जम्मू-कश्मीर लाने के लिए थीं. इनमें से कुछ ट्रेनें हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बॉर्डर के करीब रोड कंस्ट्रक्शन गतिविधि के लिए भी थीं.
BRO की तरफ से मांगे गए 11,815 मजदूरों में से करीब 8000 लद्दाख में 'ऑपरेशन विजयक' के लिए थे. बाकी उत्तराखंड में प्रोजेक्ट शिवालिक. हिमाचल में प्रोजेक्ट दीपक और जम्मू-कश्मीर में प्रोजेक्ट बीकन के लिए थे.
जम्मू-कश्मीर के लेबर कमिश्नर अब्दुल राशिद वार कहा कि उन्हें झारखंड से आने वाले मजदूरों की पक्की जानकारी नहीं है क्योंकि रजिस्ट्रेशन का सिस्टम तीन दिन पहले ही शुरू हुआ है.
लेबर कमिश्नर के मुताबिक, 48,681 फंसे हुए प्रवासी मजदूर राज्यों के बीच यातायात शुरू होने के बाद अपने घरों को लौट गए हैं. अब्दुल राशिद वार ने क्विंट को बताया, "कश्मीर से 10,760 मजदूरों ने अपने घर जाने की इच्छा जताई थी. लेकिन फिर 8000 से ज्यादा ने अपना नाम वापस ले लिया."
स्पेशल ट्रेनों का आखिरी गंत्वय उधमपुर ही होता है. जिले के एक अधिकारी ने बताया कि आखिरी ट्रेन उधमपुर 10 दिन पहले आई थी और उसमें 1600 यात्री थे. अधिकारी ने कहा कि उन्हें नहीं पता इन यात्रियों में से कितने लद्दाख जाने वाले मजदूर थे.
झारखंड से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड के लिए मजदूरों का जाना वार्षिक प्रक्रिया है. हालांकि इस साल अप्रैल के महीने में ये कुछ देर के लिए रुकी रही क्योंकि झारखंड सरकार और BRO में कुछ विवाद था.
सोरेन ने कहा था कि BRO राज्य सरकार के साथ एक MoU साइन करके ही मजदूरों की भर्ती करे. ये MoU इंटर-स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन एक्ट 1979 के तहत होगा, जिसमें बिचौलियों का कोई प्रावधान नहीं है.
झारखंड सरकार को कथित रूप से रिपोर्ट मिली थी कि BRO मजदूरों का मेहनताना उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करता है, लेकिन बिचौलियों के पास इन मजदूरों के एटीएम कार्ड जमा होते हैं. ये बिचोलिये मजदूरों के अकाउंट से पैसे निकाल कर अपना 25-30 फीसदी कमीशन लेते हैं.
BRO ने सोरेन, मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (लेबर) को विश्वास दिलाया कि संगठन 2021 से MoU साइन करेगी क्योंकि इसके लिए कुछ अप्रूवल चाहिए. BRO ने सोरेन की मजदूरों का मेहनताना जून 2020 से 15-20 फीसदी बढ़ाने और 10-15 का बीमा कवर देने की मांग भी मान ली.
मजदूरों को मेडिकल सुविधा, राशन, कपड़े, रहने की जगह, मुफ्त में यात्रा और मेहनताना बंध जाने जैसी और कई सुविधा भी मिलेंगी.
हेमंत सोरेन ने BRO की इस बार MoU साइन न करने की बात मानते हुए कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और साथ ही मजदूरों की इज्जत और अधिकारों को भी प्राथमिकता दी गई है."
सोरेन ने BRO से कहा कि अगले साल से मजदूरों का पूरा ध्यान रखा जाए.
(लेखक श्रीनगर के पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @ahmedalifayyaz है)
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