advertisement
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर आजकल बवाल मचा हुआ है. बागेश्वर धाम के महंत शास्त्री पर नागपुर में अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति वालों ने अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. दावा किया जा रहा है कि इस चुनौती के चलते शास्त्री ने अपने कार्यक्रम को जल्दी खत्म कर दिया.
26 साल के धीरेंद्र शास्त्री मध्यप्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के महंत हैं. बागेश्वर धाम में भगवान हनुमान की आराधना की जाती है. बागेश्वर धाम में पहले छोटा सा मंदिर हुआ करता था, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री के कथावाचन आयोजनों से मिली प्रसिद्धि के चलते अब यह धाम काफी बड़ा हो गया है. धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि उन्हें बालाजी की सिद्धि प्राप्त है.
धीरेंद्र शास्त्री के आयोजनों को समागम कहा जाता है. यह वैसे तो आम धार्मिक बाबाओं की तरह ही होते हैं, लेकिन इनमें शास्त्री द्वारा जो "पर्चा" बनाया जाता है, वह चर्चा का विषय है. धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि वे बिना बात किए ही भक्तों की समस्यों को पहचान जाते हैं. दरबार के दौरान इस तरीके के करतबों का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें कुछ भक्त शास्त्री के पास जाते हैं और वे एक पर्चे पर कुछ "समाधान या समस्याएं" लिखते हैं, साथ में माइक से भक्तों को उनकी व्यक्तिगत जानकारी भी बताते जाते हैं. इनमें मोबाइल नंबर और कुछ व्यक्तिगत जानकारियां भी कई बार शामिल होती हैं.
धीरेंद्र शास्त्री अपने सांप्रदायिक बयानों के चलते विवादों में भी रहे हैं. इनमें कई बार सांप्रदायिक टिप्पणियां भी रही हैं. हाल में पठान फिल्म के बॉयकॉट की बात भी उन्होंने कही थी. शास्त्री ने कहा था कि फिल्म के एक गाने में भगवा रंग को बेशर्म बताए जाने के चलते उन्होंने ऐसा कहा था.
शास्त्री को कई जगह से कथा वाचन का बुलावा आता है. ऐसे ही एक कार्यक्रम के लिए उन्हें नागपुर बुलाया गया था. लेकिन वहां अंधविश्वास उन्मूलन समिति ने दावा किया कि शास्त्री जादू-टोने और अंधविश्वास से भरी चीजों को बढ़ावा दे रहे हैं. समिति ने यह चुनौती भी दी कि अगर वे शास्त्री उनके मंच पर आकर यह चमत्कार दिखा देंगे, तो उन्हें 30 लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया जाएगा.
शास्त्री ने इसके बाद रायपुर में आयोजन किया और दावा किया कि उनके गुरुजी के जन्मदिन होने और अन्य वजहों के चलते उन्होंने पहले ही आयोजकों से 7 दिन की कथा का ही कहा था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)