advertisement
लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018' पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 245, जबकि विरोध में 11 वोेट पड़े. बिल के पास होने से पहले कांग्रेस, AIADMK और TMC सहित कई पार्टियों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
कांग्रेस ने इस बिल के कुछ प्रावधानों पर असहमति जताई और इसे सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की थी. लेकिन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दलील दी कि मुस्लिम महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए इस बिल का पास होना जरूरी है.
बिल पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की सुष्मिता देव ने कहा कि उनकी पार्टी इस बिल के खिलाफ नहीं है, लेकिन पार्टी सरकार के मुंह में राम बगल में छुरी वाले रुख के विरोध में है. उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने और उनके सशक्तीकरण की नहीं, बल्कि मुस्लिम पुरुषों को सजा देनी की है.
सुष्मिता देव ने एक साथ तीन तलाक को अपराध के दायरे में शामिल किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 2017 के बिल को लेकर जो चिंताएं जताई थीं, उनका ध्यान नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि एक वकील होने के बावजूद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक पर कानून बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अल्पमत के फैसले का उल्लेख किया. उनके मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि तीन तलाक को अपराध के दायरे में रखा जाए.
कांग्रेस नेता ने कहा
बीजेपी की मीनाक्षी लेखी ने इस बिल को नरेंद्र मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम करार दिया है. उन्होंने कहा कि तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताया और इस प्रथा का कुरान में कहीं जिक्र नहीं है. लेखी ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से यह प्रथा अब तक चलती आई है जिसका खामियाजा मुस्लिम महिलाओं को भुगतना पड़ा है.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा, ''20 इस्लामिक देश तीन तलाक को बैन कर चुके हैं, तो भारत जैसा धर्मनिरपेक्ष देश ऐसा क्यों नहीं कर सकता?'' इसके साथ ही उन्होंने कहा, ''मैं अनुरोध करता हूं कि इसे राजनीति के प्रिज्म से न देखा जाए.''
तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ''मजबूत इच्छाशक्ति के जरिए सती जैसी कुरीति को खत्म किया गया, बाल विवाह के खिलाफ कानून बना, हालांकि इस पर भी शोर मचा था कि ये सब धार्मिक रीति-रिवाज हैं.''
इसके साथ ही नकवी ने कहा, ''न हमसफर न किसी हमनशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा.’’
सीपीएम के नेता मोहम्मद सलीम ने तीन तलाक बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ दिलाना है तो सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगाओ.
बिल पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार बिल में तीन साल की सजा का प्रावधान वापस ले। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को गैर-कानूनी घोषित कर दिया है तो इसके लिए कानून लाने का कोई मतलब नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने भी इस बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)