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6-7 लाख ₹ फीस के दावे पर दिशा रवि के वकील: ‘फ्री लड़ रहा हूं केस’ 

दिशा के वकील अखिल सिब्बल से क्विंट ने की बातचीत

करन त्रिपाठी
भारत
Published:
दिशा रवि के वकील अखिल सिब्बल से क्विंट ने की बातचीत
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दिशा रवि के वकील अखिल सिब्बल से क्विंट ने की बातचीत
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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टूलकिट केस में 22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि की वकालत कर रहे वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने क्विंट से बातचीत की है. सिब्बल ने पुष्टि की है कि वो हाई कोर्ट में ये केस 'बिना किसी फीस' के लड़ रहे हैं.

अखिल सिब्बल का ये बयान ट्विटर पर किए गए उन दावों और आरोपों के जवाब में आया है, जिनमें कहा गया कि दिशा रवि हाई कोर्ट में हर पेशी के लिए सिब्बल को '6-7 लाख रुपये' दे रही हैं.

ये विवाद पत्रकार अभिजीत अय्यर-मित्रा के 19 फरवरी के एक ट्वीट के बाद शुरू हुआ. ट्वीट में मित्रा ने दावा किया, "दिशा रवि ने अखिल सिब्बल को हायर किया- हर पेशी के लिए 5 से 7 लाख रुपये के बीच. मैथ्स कर लीजिए."

'कोई फीस नहीं ले रहा'

सिब्बल ने क्विंट से कहा, "मैंने दिशा का केस प्रो-बोनो आधार पर लिया है और कोई फीस नहीं ले रहा हूं. मैं मानता हूं कि याचिका में हाई कोर्ट के सामने जो मुद्दे उठाए गए हैं वो जरूरी हैं."

“मुख्य मुद्दा ये है कि मीडिया ने जिस जानकारी पर विस्तृत बातचीत की है, उससे क्या उस नागरिक के मूल अधिकारों पर प्रभाव पड़ रहा है, जिसकी जांच चल रही है. इस अधिकारों में निजता, प्रतिष्ठा, निष्पक्ष सुनवाई और बेगुनाही की संभावना शामिल है. और ये जानकारी भी वो है जो केस का हिस्सा है और पब्लिक रिकॉर्ड में नहीं है और पुलिस ने संभावित रूप से लीक की है.” 
अखिल सिब्बल

इस केस या उससे पहले के मामलों में अखिल सिब्बल के साथ काम कर चुके वकीलों ने मित्रा के दावों को खारिज किया है.

ऐसी ही एक वकील वृंदा भंडारी ने क्विंट से कहा, "सिब्बल प्रो-बोनो आधार पर दिशा के लिए पैरवी कर रहे हैं." वृंदा भी दिशा रवि के लिए वकालत कर रही हैं.

JNU हिंसा समेत कई प्रो-बोनो मामलों पर सिब्बल के साथ काम कर चुके अभीक चिमनी ने ट्विटर पर लिखा:

“अखिल सिब्बल के साथ कई प्रो-बोनो मामलों पर काम करने के बाद मैं इस बात की गारंटी ले सकता हूं कि वो बार के सबसे उदार सदस्यों में से एक हैं. ये दुखद है कि हम अटेंशन सीकर्स को फेक न्यूज फैलाते हुए देखते रहते हैं.” 

सिब्बल दिशा रवि की हाई कोर्ट में उस याचिका पर पैरवी कर रहे हैं, जिसमें पुलिस को जांच की जानकारी मीडिया को लीक करने से रोकने का निवेदन किया गया है.

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