Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Doctor’s Day Special: क्यों बढ़ रही है आम डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा?

Doctor’s Day Special: क्यों बढ़ रही है आम डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा?

डॉक्टरों और मरीजों के बीच क्यों घटता जा रहा है भरोसा?

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
महाराष्ट्र में हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करते डॉक्टर
i
महाराष्ट्र में हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करते डॉक्टर
(फोटो: PTI)

advertisement

डॉक्टर होना आसान काम नहीं. ये हमेशा से सबसे मुश्किल कामों में से एक रहा है. सालों की मेहनत, काम का लंबा समय, और कम पैसा. लोगों की नजरों में शायद ये एक आरायदायक पेशा हो सकता है लेकिन एक डॉक्टर ही जान सकता है कि ये कितना मुश्किल है. ऐसे में डॉक्टरों के खिलाफ लगातार बढ़ रही हिंसा इस काम को और ज्यादा मुश्किल और डराने वाला बना रही है.

मरीजों और उनके परिजनों द्वारा डॉक्टरों पर हिंसा के किस्से लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आए दिन सुनने में आता है कि डॉक्टरों पर मरीज के परिजनों ने हमला कर दिया लेकिन, एक बात जो लोग समझ नहीं पाते वो ये है कि इलाज में सही तरीका, दवाइंयों और ट्रीटमेंट की क्वालिटी जैसी चीजों को डॉक्टर आम लोगों से ज्यादा समझते हैं.

डॉक्टर लगातार कम पैसे और कम साधनों के बीच काम करते हैं. जिसका असर उनकी क्षमता पर पड़ता है और उनपर दबाव बढ़ता है. डॉक्टर कम पैसे और कम साधनों में काम करने की आदत डाल चुके हैं. भारत में हर सेक्टर की तरह हेल्थकेयर में ‘जुगाड़’ चलता है और ये बात सिर्फ सरकारी अस्पतालों में ही नहीं प्राइवेट अस्पतालों पर भी लागू है.

सरकारी अस्पतालों में पैसे की कमी का मतलब है खराब इंफ्रास्ट्रक्चर और डॉक्टरों और कर्मचारियों की कमी, जिसकी वजह से लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ जाते हैं लेकिन उनपर भरोसा नहीं कर पाते.

(फोटो: istock)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इन सब मुसीबतों के बाद अगर सरकार का बर्ताव देखें तो उदासीनता ही दिखाई पड़ती है. सरकार की जिम्मेदारी है कि वो देश के हेल्थकेयर सिस्टम की कठिनाइयों को दूर करे लेकिन इससे जुड़ी ज्यादातर चीजों पर राजनीति हावी है. इन सब को मिलाकर देखने पर देश के हेल्थकेयर की दुर्दशा सामने दिख जाती है.

जो लोग डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा करते हैं उनके इसके पीछे कई तर्क होते हैं और वो उन्हें सही मानते हैं. जाहिर है ये मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. 

“आज का डॉक्टर डरा हुआ है”

WHO की रिपोर्ट के मुताबिक 38 फीसदी से ज्यादा डॉक्टरों ने काम के दौरान हिंसा का सामना किया है. अगर आप इसमें धमकियां, तोड़-फोड़ और सोशल मीडिया के जरिए दबाव बनाने को भी जोड़ दें तो ये आंकड़ा और बड़ा हो जाएगा. 

ज्यादातर केस में नियमों में बंधे होने के कारण डॉक्टर ऐसी परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम नहीं होते. सोशल मीडिया पर एक पक्ष की कहानियां वायरल होने में कुछ वक्त लगता है, वहीं मीडिया के लिए ‘लुटेरा डॉक्टर’ ज्यादा बिकने वाली हेडलाइन है. डॉक्टर का अपना काम करना खबर नहीं है. ये देश के हेल्थकेयर के लिए एक नई बात है कि की अस्पतालों में अब डॉक्टरों के लिए बाउंसर रखने की बात हो रही है.

AIIMS के बाहर प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा की कमी को उजागर करने के लिए हेलमेट पहने एक महिला डॉक्टरPTI

आज मेडिकल नौकरियां दो राहों पर खड़ी हैं

जहां एक तरफ भारत में डॉक्टरों की तुलना भगवान से की जाती रही है, वहीं दूसरी तरफ डॉक्टर शक और हिंसा के पार नहीं हैं. लेकिन मरीजों और डॉक्टरों के बीच शक की खाई बढ़ती जा रही है, जिसका परिणाम मरीजों के लिए भी बुरा होगा.

बढ़ते कोर्ट केस और मरीजों में भरोसे की कमी से डॉक्टर ज्यादा टेस्ट और औपचारिकता की तरफ बढ़ेंगे. एक मामूली वायरल के लिए आए मरीज को भी सतर्कता बरतने के लिए कई टेस्ट से गुजरना पड़ सकता है लेकिन ये डॉक्टर और मरीज के भरोसे पर निर्भर है कि वो कैसे काम करें.

अगर मरीज बिना भरोसे के डॉक्टर से इलाज कराता है तो इलाज पर खर्च और वक्त दोनों बढ़ सकता है

प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस का चलन बढ़ेगा

इलाज के बढ़ते खर्चों के बीच लोगों का रुझान महंगे प्रीमीयम वाले प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस की तरफ बढ़ेगा. जहां सरकार का ध्यान लोगों को सस्ता इलाज दिलाने की तरफ होना चाहिए वहीं लोगों का भारतीय डॉक्टरों और अस्पतालों से भरोसा ही उठता जा रहा है.

ये गलत नहीं की बाकी किसी भी सेक्टर की तहर हेल्थकेयर में भी करप्शन है, लेकिन डॉक्टरों से लोगों का भरोसा ही खत्म हो जाना गलत होगा.

कोई भी डॉक्टर अगर कोई गलत काम करता है तो उसे सजा होनी चाहिए, लेकिन हर डॉक्टर पर शक होना और लगातार डॉक्टरों की पब्लिक शेमिंग से जो ट्रेंड सामने आ रहा है उसमें विच हंटिंग का ट्रेंड दिखता है. डॉक्टरों पर बढ़ता अविश्वास सिर्फ हेल्थकेयर को महंगा बना रहा है.

डॉक्टर बनने और देश के हेल्थकेयर सिस्टम में काम करने की कठिनाइयों को देखते हुए कई लोग अब इस प्रोफेशन को अपनाना नहीं चाहते. इस बढ़ते अविश्वास और खराब सिस्टम के मरीज और डॉक्टर दोनों शिकार हैं.

(ये आर्टिकल सबसे पहले Quint Fit पर छपा था जिसे डॉक्टर्स डे के मौके पर दोबारा पोस्ट किया जा रहा है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT