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Dog Attack: कुत्तों से लोग परेशान, लेकिन डॉग को समझना भी जरूरी

आंध्र प्रदेश के एलुरु में पिछले हफ्ते अठारह कुत्तों को जहर देकर मार दिया गया.

चैतन्य नागर
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Dog Attack: आवारा कुत्तों से लोग परेशान, लेकिन पालतू पशु को समझना भी जरूरी</p></div>
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Dog Attack: आवारा कुत्तों से लोग परेशान, लेकिन पालतू पशु को समझना भी जरूरी

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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कुत्ता इंसान का सबसे वफादार साथी माना जाता है, पर क्या हो जब कुत्ता ही लोगों को डराने लगे. आजकल ऐसी कई खबरें सुनने में आ रही हैं कि कुत्ते ने किसी इंसान पर अटैक कर दिया. लेकिन इसका दूसरा पहलू भी देखा जा रहा है. कुत्तों के प्रति इंसानों का व्यवहार. अभी हाल के दिनों में एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति कुत्ते को कार में बांध कर सड़क पर दौड़ा रहा था.

कुत्तों के काटने के कई मामलें

  • मध्य प्रदेश के खरगोन में कुछ दिनों पहले पांच साल की मासूम बच्ची को आवारा कुत्तों ने काट लिया और बच्ची की जान चली गई.

  • नोएडा की एक रिहायशी सोसाइटी के बाहर कुछ दिनों पहले ही एक बच्चे को आवारा कुत्तों ने काट लिया और बच्चे की जान चली गई.

  • उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिट बुल ने अपनी 82 साल की बूढ़ी मालकिन पर हमला कर दिया, जिसके बाद उन्हें नहीं बचाया जा सका.

  • केरल में पिछले महीने 12 साल की एक बच्ची पर आवारा कुत्ते ने हमला कर दिया था. पांच सितंबर को इस बच्ची की मौत हो गई.

  • हाल ही में दिल्ली से सटे गाजियाबाद की सोसाइटी की लिफ्ट में एक दस साल के छोटे बच्चे को कुत्ते ने काट लिया.

क्या कहता है WHO ?

बीते कुछ महीनों में कुत्तों के हमले के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिन्होंने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल करीब 55 हजार लोग कुत्तों के काटने के बाद अपनी जान गंवा बैठते हैं. एशिया और अफ्रीका में कुत्तों के काटने के सबसे अधिक मामले आते हैं.  भारत में रेबीज के मामले और उनसे होने वाली मौतों के करीब 30 से 60 फीसद मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों के हैं.

हर साल करीब दर्जनों लोग कुत्तों के काटने के बाद जान गंवा बैठते हैं

WHO (www.who.int)

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जानवरों के प्रति इंसानों की क्रूरता

इसके साथ कुत्तों के प्रति निर्मम और क्रूर व्यवहार की खबरें भी आम हैं. आंध्र प्रदेश के एलुरु में पिछले हफ्ते अठारह कुत्तों को जहर देकर मार दिया गया.

भारत में कुत्तों की आबादी पर नियंत्रण रखने को कोई भी सटीक नीति नहीं है. दुनिया में कुत्तों की आबादी के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है. इस संबंध में बने नियम और कानून बहुत भ्रमित करते हैं.

कुत्ते को सड़क पर दौड़ाता रहा कुत्ते का मालिक

Social Media (Twitter)

2001 में संस्कृति मंत्रालय ने पशु जन्म नियंत्रण (Animal Birth Control Rules) जारी किये. ये नियम पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (PCA Act) के तहत बनाये गए हैं. एबीसी नियमों के अनुसार आवारा कुत्तों की आबादी पर नसबंदी (Vasectomy) की सर्जरी की मदद से नियंत्रण किया जाना चाहिए और फिर इन कुत्तों को उसी जगह पर छोड़ना होता है जहां से उन्हें पकड़ा गया हो.

आवारा कुत्तों के कारण होती हैं कई दुर्घटनाएं

कई वाहन इसलिए दुर्घटना का शिकार होते हैं क्योंकि रास्ते में अचानक कुत्ते आ जाते हैं. ड्राइवर या तो उन्हें बचाने की कोशिश करता है या उन्हें गाड़ियों के नीचे दबा कर चले जाते हैं. दोनों स्थितियों में दुर्घटना हो सकती है.

कुत्तों को जहर देकर या पीट-पीट कर मार दिया जाता है. कहीं इंसानों को कुत्तों के हमलों का सामना करना पर रहा हैं. दोनों ही स्थितियां दर्दनाक हैं और चिंता का विषय है. स्थिति अजीबोगरीब है, सरकारी नियम कानून काफी नहीं हैं.

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