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सिक्किम सेक्टर में चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद के बीच, सुकना स्थित आर्मी की 33 कोर यूनिट की दार्जिलिंग ब्रिगेड, भारत-चीन सीमा के 'बेहद करीब' पहुंच चुकी है. 33 कोर यूनिट को करीब 1 महीने पहले से इस इलाके में तैनात किया जा रहा है.
आर्मी के सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि इंटेलिजेंस इनपुट से जानकारी मिली है कि चीन की आर्मी (PLA) भारत-भूटान-तिब्बत ट्राइजंक्शन पर तिब्बत की तरफ की सीमा से बंकर्स और दूसरे तरह की बढ़त हासिल करने में जुटी है. ऐसे में इंडियन आर्मी के कम्युनिकेशन सिस्टम और इंटेलिजेंस को और भी मजबूत किया जा रहा है.
आर्मी सूत्रों ने बताया कि अरुणाचल में भारत-चीन की लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तवांग के पास भी सेना की तैनाती की जा रही है. बता दें कि सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से लगे भारत-चीन सीमा को 'ऑपरेशन एरिया अलर्ट' पर रखा गया है, इंडियन एयरफोर्स के बड़े अधिकारियों को आर्मी कमांड के साथ संपर्क में रखा गया है, साथ ही पूर्वोत्तर में महत्वपूर्ण हवाई अड्डों को 'संवेदनशील' बनाने की कोशिश की जा रही है.
बता दें कि पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी के सुकना में तैनात 33 कोर के सभी तीन डिविजन भारत-चीन सीमा पर तैनात किए गए हैं. आर्मी का ये मूवमेंट करीब 20-25 दिन पहले ही शुरू हो गया था. ये तैनाती बिना किसी शोर-शराबे के की जा रही है, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे के लेकर ध्यान आकर्षित नहीं हो. इसे ट्रिकल अप मेथड भी कहा जाता है.
चीन-भारत के बीच जून के महीने से सीमा विवाद चल रहा है. भारत और चीन के बीच सिक्किम सेक्टर के डोकलाम पर गतिरोध उस वक्त शुरू हुआ जब चीनी सेना ने वहां सड़क बनाने का काम शुरू किया. डोकलाम क्षेत्र में सड़क बनाने से भारत की सुरक्षा में सेंध लग सकती है.
ऐसे में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को सड़क निर्माण से रोक दिया, जिससे चीन बौखलाया हुआ है. चीन ने भारत से तत्काल अपनी सेना हटाने को कहा है. अगर चीन ये सड़क बना लेते है तो भारत के सिलीगुड़ी कॉरीडोर के करीब पहुंच जाएगा. सिलिगुड़ी कॉरीडोर ही भारत को नॉर्थ-ईस्ट से जोड़ने का एकमात्र जरिया है.
इस पूरे विवाद के दौरान चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की तरफ से लगातार भड़काऊ बयान जारी किए गए. बुधवार को ग्लोबल टाइम्स ने धमकी भरे अंदाज में लिखा कि दोनों देशों के बीच हालात उस दिशा में बढ़ रहे हैं जहां कोई समाधान नहीं बचेगा. अखबार ने ये भी लिखा की युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो चुका है.
चीन के 15 पेजों के बयान के अगले ही दिन भारत की विेदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कहा कि 2012 में हुए भारत-चीन-भूटान समझौते को मानना चाहिए. साथ ही सुषमा ने ये भी कहा कि किसी भी विवाद का हल युद्ध से नहीं बल्कि द्विपक्षीय बातचीत से ही हो सकता है. इससे पहले स्वराज साफ कर चुकी हैं कि डोकलाम से भारतीय सैनिकों की वापसी तभी होगी जब दोनों देश एक साथ सेना हटाएंगे.
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