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भारत में घरेलू हिंसा एक बड़ी समस्या है. घर की बात घर के अंदर रखने की आम प्रवृत्ति के बावजूद अलग-अलग रिसर्च और स्टडी से पता चलता है कि अमूमन हर तीसरी विवाहित महिला के साथ पति ने शारीरिक हिंसा की है. कुछ रिसर्च में ये आंकड़ा 50 फीसदी तक है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक भारत की 28 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने घरेलू हिंसा की शिकायत की है. ये हिंसा कई बार मानसिक उत्पीड़न की शक्ल में भी होती है. स्त्री को घर से निकलने की इजाजत न देना या उसे खाना खाने न देना, या उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स करना भी हिंसा के ही फॉर्म हैं. पत्नी को उसकी मर्जी के बगैर छोड़ देना या छोड़ने की धमकी देना भी घरेलू हिंसा है.
महिलाओं के खिलाफ घर में हिंसा क्यों होती है, इसे लेकर तमाम तरह के रिसर्च और विचार हैं. इसके तमाम कारण बताए गए हैं. मिसाल के तौर पर,
ये रिसर्च देश के सबसे ज्यादा शिक्षित राज्य केरल में किया गया, जहां समाज का एक हिस्सा मातृसत्तात्मक भी है. रिसर्च से पता चला है कि अगर पत्नी के पास मकान और जमीन दोनों नहीं है तो उनके खिलाफ 49% मामलों में शारीरिक हिंसा और 84 फीसदी मामलों में मानसिक उत्पीड़न हुआ है.
लेकिन जिन महिलाओं के पास मकान और जमीन दोनों हैं, उनके खिलाफ शारीरिक हिंसा की सिर्फ 7 फीसदी घटनाएं हुई हैं. मानसिक हिंसा की घटनाएं 16 फीसदी ही हुईं. इस सर्वे में जिन 9 ग्रामीण महिलाओं के पास जमीन और मकान दोनों थे, उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ कभी किसी तरह की हिंसा नहीं हुई. जिन महिलाओं के पास मकान या जमीन दोनों में से किसी एक का मालिकाना है, उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं काफी कम हुईं.
दहेज की मांग से जुड़ी हिंसा का भी महिलाओं की प्रॉपर्टी ओनरशिप से संबंध है. रिसर्च से पता चला है कि जायदाद की मालकिन महिलाओं के खिलाफ दहेज हिंसा की सिर्फ 3 फीसदी घटनाएं हुईं, जबकि जिन महिलाओं के पास अपने नाम पर जायदाद नहीं है, उनके खिलाफ हिंसा की 44 फीसदी घटनाएं हुईं.
इसके अलावा जिन 179 महिलाओं के खिलाफ लंबे समय से शारीरिक हिंसा हो रही थी, उनमें से 43 ने घर छोड़ दिया. इन 43 में से 30 महिलाओं के पास अपने नाम पर जायदाद थी. यानी अगर महिला के पास संपत्ति है तो शादी से अलग होने के ऑप्शन का इस्तेमाल करने के लिए वे बेहतर स्थिति में हैं. इन 43 महिलाओं में से जो वापस लौट आईं, उनमें ज्यादातर वे थीं, जिनके पास कोई जायदाद नहीं थी. जाहिर है कि घर या जमीन के बिना नई जिंदगी शुरू करना उनके लिए आसान नहीं था.
इस रिसर्च से साफ दिखता है कि मकान और जमीन के स्वामित्व और घरेलू हिंसा के बीच एक संबंध है. समाजशास्त्री ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्यों है. इसकी कई वजहें हो सकती हैं-
कई बैंक महिलाओं को अपेक्षाकृत सस्ते दर पर कर्ज देते हैं. इसकी वजह सिर्फ ये नहीं है कि वे महिलाओं का भला करना चाहते हैं. बल्कि महिलाएं समय पर कर्ज चुकाने के मामले में पुरुषों से बेहतर होती है और कर्ज लेकर भाग जाने के मामले में महिलाओं में कम हैं.
कई राज्यों में महिलाओं को मकान की कम स्टांप ड्यूटी देनी पड़ती है. कई राज्यों में ये छूट 2 परसेंट तक है. इसके अलावा, महिला पार्टनर को मकान गिफ्ट करने पर भी स्टांप ड्यूटी कम लगती है. महिला पार्टनर के साथ जाॅइंट ओनरशिप होने पर भी स्टांप ड्यूटी में छूट मिलती है.
अगर पति और पत्नी किसी प्रॉपर्टी में जाॅइंट ओनर हैं और पत्नी के पास आमदनी का अपना सोर्स है, तो दोनों ही लोग होम लोन ब्याज पर अलग-अलग टैक्स डिडक्शन ले सकते हैं.
(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके.छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)
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