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सुप्रीम कोर्ट के टेलीकॉम कंपनियों और टेलीकॉम विभाग को फटकार लगाने के बाद अब सरकार के टेलीकॉम महकमे ने सख्त आदेश जारी किया है. टेलीकॉम विभाग ने आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियां अपने बकाए को 14 फरवरी को रात 12 बजे से पहले चुकाएं. 14 फरवरी को ही टेलीकॉम विभाग को भी सुप्रीम कोर्ट ने डेडलाइन खत्म हो जाने के बाद भी AGR का बकाया वसूल न करने को लेकर फटकार लगाई थी.
एक टेलीकॉम ऑपरेटर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि उन्हें सर्किल से ये ऑर्डर मिला है. AGR के तहत कुल 15 कंपनियों को सरकार को 1.47 लाख करोड़ रुपये देने हैं. जिसमें से 92,642 लायसेंस फीस के बकाए के हैं और 55,054 स्पैक्ट्रम यूसेज चार्जेज से जुड़ा बकाया है.
सर्वोच्च अदालत ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को अपना AGR (Adjusted Gross Revenue) 17 मार्च तक जमा करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन इन कंपनियों और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन यानी DOT के अफसरों को भी अदालत में हाजिर रहने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने बकाया भुगतान के मामले में टेलीकॉम कंपनियों और टेलीकॉम विभाग के रवैये पर भी गहरी नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर, 2019 के अपने फैसले में कहा था कि कंपनियां 23 जनवरी, 2020 तक टेलीकॉम विभाग को एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर दें. अदालत का कहना था कि कंपनियां अपने रेवेन्यू की अंडर रिपोर्टिंग कर रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में अपने फैसले में कहा था कि सरकार की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से AGR पर मांगा जा रहा शुल्क जायज है. टेलीकॉम कंपनियों को इस साल 23 जनवरी तक यह शुल्क जमा करने को कहा गया था. लेकिन कंपनियों ने शुल्क जमा नहीं किया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर और सख्त रवैया अपनाया है.
AGR यानी Adjusted gross revenue दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस. DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.
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