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कलाम की सीख ने 10वीं फेल ड्राइवर को बना दिया हिस्ट्री का प्रोफेसर

पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की एक सीख ने बदल दी थी उनके दसवीं फेल ड्राइवर की जिंदगी.

अंशुल तिवारी
भारत
Updated:
10 साल तक डॉ. कलाम के ड्राइवर रहे काथीसेरन को कलाम ने दसवीं पास करने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद उन्होंने पीएचडी तक की पढ़ाई पूरी की. (फोटोः theweekendleader)
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10 साल तक डॉ. कलाम के ड्राइवर रहे काथीसेरन को कलाम ने दसवीं पास करने के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद उन्होंने पीएचडी तक की पढ़ाई पूरी की. (फोटोः theweekendleader)
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‘’सपने वो नहीं होते, जो हम सोते हुए देखते हैं, बल्कि सपने वो होते हैं, जो हमें सोने नहीं देते’’ भारत के पूर्व राष्ट्रपति व ‘मिसाइलमैन’ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का यह कथन सर्वश्रेष्ठ है.

दिवंगत कलाम से जुड़े यूं तो कई किस्से मीडिया की सुर्खियां बनते रहे हैं. लेकिन एक शख्स ऐसा है, जिसकी दुनिया भी कलाम साहब की सीख के बाद बदल गई. अंग्रेजी वेबसाइट द वीकेंड लीडर में छपे आर्टिकल के मुताबिक, कलाम द्वारा दी गई सीख ने उनके दसवीं फेल ड्राइवर की जिंदगी बदल दी.

10वीं में फेल होने के बाद सेना में शामिल हो गए थे काथीरेसन

काथीरेसन दसवीं की परीक्षा में फेल होने के बाद साल 1979 में भारतीय सेना में बतौर सिपाही शामिल हो गए थे. ट्रेनिंग के बाद उन्हें पहली तैनाती हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट लेबोरेटरी(डीआरएलबी) में डॉ. ए. पी. जे कलाम के ड्राइवर के तौर पर दी गई. डॉ. कलाम उस वक्त डीआरएलबी के डायरेक्टर थे.

डॉ. कलाम ने जल्द ही अपने ड्राइवर के बारे में जान लिया था. जब उन्हें पता चला कि उनके ड्राइवर काथीरेसन ने दसवीं पास न कर पाने की वजह से पढ़ाई छोड़ दी थी, तो उन्होंने उसे फिर से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया.

हम दोनों एक ही जिले से थे, उस वक्त तक रामनाद जिला विभाजित नहीं हुआ था. डॉ. कलाम मुझे जल्दी ही पसंद करने लगे थे. उन्होंने मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने को कहा और उन्होंने मेरे लिए अंग्रेजी सीखने की भी व्यवस्था की. मैं दसवीं कक्षा में अंग्रेजी में ही फेल हो गया था. मुझे पास होने के लिए 35 नंबरों की जगह कुल 26 नंबर ही मिले थे. उन्होंने अंग्रेजी सीखने में मेरी मदद की और मुझे किताबें खरीदकर दीं. मैं जनवरी 1982 में उनसे मिला था और साल खत्म होने से पहले ही मैंने अंग्रेजी में 44 नंबर लाकर दसवीं की परीक्षा पास कर ली थी.
<b>वी. काथीरेसन, डॉ. एपीजे कलाम के पूर्व ड्राइवर</b>

काथीरेसन कहते हैं कि वह मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे और अपने सचिव के जरिए जानकारी लेते रहते थे कि मैं किसी कोर्स में दाखिला लूं.

उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं 12वीं कक्षा में क्या पढ़ना चाहता हूं. मैंने कहा, ‘इतिहास’ तो उन्होंने इतिहास में मेरा नामांकन करा दिया. इसके साथ ही अकांउट, कॉमर्स, इकोनॉमिक्स, तमिल और इंग्लिश भी मेरे विषय थे.
<b>वी. काथीरेसन, डॉ. एपीजे कलाम के पूर्व ड्राइवर</b>

12 वीं पास करने के बाद काथीसेरन ने पत्राचार के जरिए ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की. काथीरेसन कहते हैं, “डॉ. कलाम ने कहा था, अगर मेरे पास भी ये डिग्री होती तो मैं शिक्षक बन सकता था. उन्होंने मुझे डॉक्टरेट करने के लिए भी कहा, ताकि मैं कॉलेज में लेक्चरर बन सकूं.”

काथीरेसन करीब दस साल तक डॉ. कलाम के ड्राइवर के तौर पर तैनात रहे.

प्रेरणा के बाद 10वीं से पीएचडी तक की पढ़ाई पूरी की

लेकिन कलाम की दी गई प्रेरणा काथीसेरन के दिल में आगे बढ़ने की लगन जगा चुकी थी. इसी के चलते साल 1998 में काथीसेरन ने सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. इसी साल काथीेरेसन ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली स्थित मनोनमण्यिम सुंदरनार यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए नामांकन कराया. पीएचडी के लिए उन्होंने विषय के तौर पर ‘तिरुनेलवेली जिले में चल रही जमींदारी व्यवस्था’ को चुना.

काथीरेसन ने यह विषय डॉ. कलाम द्वारा पॉलीगार्स पर आधारित उन्हें भेंट की गई पुस्तक से प्रेरित होकर चुना था. काथीरेसन कहते हैं “यह पुस्तक मेरी रिसर्च में बहुत काम आई. इसी के जरिए मैंने जमींदारी व्यवस्था को गहराई से समझा.”

साल 2002 में डॉक्टरेट पूरी करने के बाद काथीरेसन ने कुछ समय तक एक सरकारी स्कूल में बतौर अध्यापक भी काम किया. इसके बाद उनकी तैनाती विरुधुनगर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टरेट में हुई. जहां वह टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम कॉर्डिनेट करते थे.

साल 2008 में, उन्हें अथूर के आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किए जाने का आदेश मिला. इसके आलावा कुछ दूसरे गर्वंमेंट कॉलेजों में भी तैनात रहने के बाद, फिलहाल वह अपने गृहनगर के पास तिरुनेलवेली में प्रोफेसर के पद पर तैनात हैं.

काथीरेसन कहते हैं, कि डॉ. कलाम ने ही उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया. “उन्होंने मेरी फीस दी और मुझे किताबें भी खरीदकर दीं.” उन्होंने मुझे अच्छी सीख दी और मेरा बहुत ख्याल रखा.

डॉ. कलाम साल 2011 में काथीसेरन के घर गए थे. (फोटोः theweekendleader)

दोस्त की तरह व्यवहार करते थे डॉ. कलाम

काथीरेसन ताजा मामला याद करते हुए कहते हैं, “हाल ही में हुए एक समारोह में वह मुझसे एक दोस्त की तरह मिले. वह मुझ पर गर्व करते थे. जब मैं मादुराई के पास मैलूर के एक कॉलेज में काम कर रहा था तो एक बार उन्होंने मेरा इंटरव्यू करने के लिए जापानी पत्रकारों की एक टीम भेज दी थी.”

वह कहते हैं,“डॉ. कलाम बहुत ही सादगी पसंद इंसान थे. साल 2011 में, वह मेरे घर आए थे. उन्होंने मेरे और मेरे परिवार के साथ खाना खाया था.”

काथीरेसन की पत्नी भी एक स्कूल टीचर है और उनका बेटा वीके राघवन चेन्नई के एक कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है.

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Published: 05 Feb 2016,03:07 PM IST

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