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आधे भारत में पड़ सकता है सूखा, शहरों में होगी पानी की किल्लत

मानसून से पहले काफी कम हुई बारिश

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मानसून से पहले काफी कम हुई बारिश
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मानसून से पहले काफी कम हुई बारिश
(फोटो:PTI)

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नई सरकार के शपथ लेते ही उसे कई तरह की चुनौतियों से निपटना होगा. लेकिन मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती सूखे से निपटने की होगी. सरकार की प्राथमिकता देश के कई राज्यों को सूखे की मार से बचाने और इसके लिए जरूरी उपाय ढूंढ़ने की रहेगी. आईआईटी गांधीनगर ने पूर्वानुमान में बताया है कि देश के 40 प्रतिशत हिस्से में सूखे की मार पड़ सकती है.

लगभग आधे हिस्से में असर

बताया जा रहा है कि सूखे का असर इस बार देश के लगभग आधे हिस्से पर पड़ सकता है. इसका कारण मानसून से पहले हुई कम बारिश को बताया जा रहा है. इस बार मार्च और मई के बीच काफी कम बारिश देखने को मिली है. पूरे देशभर में इस बार 23 प्रतिशत कम बारिश हुई है. देश के दो तिहाई हिस्सों में कम बारिश रिकॉर्ड की गई. कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां काफी कम बारिश हुई है. मानसून से पहली होने वाली बारिश में ऐसी कमी पिछले 6 साल में नहीं देखी गई. जिसे काफी गंभीर बताया जा रहा है.

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सबसे ज्यादा असर साउथ में

कम बारिश का सबसे ज्यादा असर साउथ के राज्यों में दिख सकता है. अगर बारिश नहीं होती है तो यहां भयंकर सूखा पड़ने के आसार हैं. इन तीन महीनों में साउथ के राज्यों में 49 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. जिससे स्थिति काफी खराब नजर आ रही है. हालांकि अगर मानसून में अच्छी बारिश हुई तो खतरा टल सकता है. इससे मॉइस्चर लेवल में भी सुधार देखने को मिल सकता है. लेकिन मानसून से पहली हुई कम बारिश से ग्रामीण इलाकों में समस्या बढ़ सकती है और इसके अलावा शहरों में भी पानी की कमी देखी जा सकती है.

हाल ही में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने पीएम मोदी से भी सूखे को लेकर मुलाकात की थी. उन्होंने अपने राज्य के लिए 2,064 करोड़ रुपये की सूखा राहत सहायता की मांग रखी थी. पीएम को सौंपे ज्ञापन में कुमारस्वामी ने कहा था, "लगातार सूखे और अनियमित बारिश ने राज्य में कृषि के लिए संकट पैदा कर दिया है. मैं आपसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि से 2,064 करोड़ रुपये जारी करने की प्रक्रिया जल्द शुरू करने का अनुरोध करता हूं."

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