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नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के चलते रविवार को दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में भड़की हिंसा में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए. अगली सुबह कई जामिया के बहुत से छात्रों को हाथों में बैग लेकर कैंपस छोड़कर जाते हुए देखा गया.
कैंपस छोड़कर जाते समय एक छात्र ने कहा, "यहां का माहौल बहुत खराब है, लाइब्रेरी खत्म हो गया है और कल रात कैंपस में कर्फ्यू लगा दिया गया, यहां तक कि कुछ कमरों में आग लगा दी गई. पुलिस ने हमारी मस्जिद में प्रवेश किया है...इसलिए हमें यहां से जाना होगा. हमारे परिवार वाले हम पर घर वापस आने के ले दबाव डाल रहे हैं और हमें अपनी सुरक्षा के लिए भी कैंपस छोड़ना पड़ रहा है."
एक अन्य छात्र ने द क्विंट को बताया कि वे सुबह 5:30 से 6 बजे तक गेट्स खुलने पर जितना जल्दी हो सके कैंपस छोड़ने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि परीक्षा रद्द होने के बाद से पढ़ाई में कोई समस्या नहीं थी; मुख्य चिंता यह थी कि हर कोई सुरक्षित रहे.
एक छात्र ने कहा, "जब तक हमारा प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाता और हमारी कुलपति नजमा अख्तर कोई बड़ा कदम नहीं उठतीं, तब तक कुछ भी सामान्य नहीं होगा."
एक अन्य छात्र ने कहा, "घर से हर आधे घंटे में परिवार के लोग फोन कर रहे हैं, वे हमें ले जाने के लिए आना चाहते थे, लेकिन हमने मना कर दिया क्योंकि वे भी इस झमेले में फंस सकते थे."
रविवार, 15 दिसंबर को जामिया कैंपस के अंदर हुई झड़प के बाद छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मियों सहित 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. पुलिस ने कैंपस के अंदर आंसूगैस के गोले दागे, और कथित तौर पर छात्रों को लाइब्रेरी और मस्जिद से बाहर खींचकर उनकी पिटाई की.
दिल्ली में हुई इस घटना का असर पूरे देश में हो रहा है. इस घटना के खिलाफ और नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) का विरोध जताते हुए अलीगढ़, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और केरल में छात्रों ने प्रदर्शन किया.
(पीटीआई इनपुट के साथ)
देखें वाडियो - जामिया में ‘आफत’ की रात-9 घंटे का वीडियो रिकॉर्ड: ग्राउंड रिपोर्ट
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