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लॉकडाउन के दौरान लगाए गए भोजन शिविरों के जरिये माइग्रेंट वर्कर्स को खाना मुहैया कराने में दिल्ली और हरियाणा सबसे आगे हैं. मजदूरों को दिए गए हर तीन फूड पैकेट में से दो इन राज्यों के हैं. हालांकि फूड कैंप के जरिये केरल सरकार ने मजदूरों को खाना नहीं मुहैया कराया है, जबकि देश भर में जितने लोगों को शेल्टर दिया गया, उनमें से आधे केरल में हैं. यह जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक Status report में दी है.
सरकार के डेटा के मुताबिक लॉकडाउन के वक्त से भोजन शिविरों में मजदूरों को मुहैया कराए गए 54.15 मील्स (भोजन या भोजन के पैकेट) में से 34.7 लाख हरियाणा और दिल्ली सरकार ने मुहैया कराए हैं. हरियाणा सरकार ने 22.38 लाख मील और दिल्ली सरकार ने 12.32 लाख मील मुहैया कराए हैं.
इसके बाद यूपी का नंबर है, जिसने 6.84 लाख भोजन पैकेट उपलब्ध कराए हैं. उत्तराखंड ने 2.65, पंजाब ने 1.94, झारखंड ने 1.22 लाख और कर्नाटक ने 1.12 लाख फूड पैकेट मजदूरों में बांटे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक केंद्र की ओर से मंगलवार को राज्य सरकारों और एनजीओ की ओर से चलाए जा रहे शेल्टर और फूड कैंप का डेटा सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए. इस रिपोर्ट के मुताबिक केरल, तेलंगाना, सिक्किम, और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने फूड कैंप के जरिये मजदूरों को भोजन नहीं मुहैया कराया है. हालांकि केरल सरकार ने 3 लाख से ज्यादा मजदूरों को शेल्टर दिया है. यह संख्या पूरे देश में शिविरों में रखे गए 6.31 लाख आप्रवासी मजदूरों की आधी है.
बिहार ने 14,354 लोगों को शेल्टर और खाना मुहैया कराया है. जबकि दिल्ली के 102 शेल्टर सेंटर्स में 4,788 लोगों को रखा गया है. 15 लाख मजदूरों को उनके एम्प्लॉयर्स और उद्योग संगठनों को शेल्टर और खाना मुहैया कराया है. कुछ राज्यों में एनजीओ भी बड़ी तादाद में आप्रवासी मजदूरों को शेल्टर और भोजन मुहैया कराने में आगे रहे हैं.
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