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ऑनलाइन शॉपिंग पर मिलने वाले बंपर डिस्काउंट पर अब 'ग्रहण' लग सकता है. सरकार अब अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर नजर रखने की तैयारी कर रही है. सरकार ने सोमवार को ई-कॉमर्स पॉलिसी ड्राफ्ट को चर्चा के लिए पेश किया. पॉलिसी ड्राफ्ट में प्रस्ताव है कि इस तरह के डिस्काउंट को एक निश्चित तारीख के बाद रोक दिया जाना चाहिए.
ऑनलाइन रिटेल सेक्टर पर निगरानी को लेकर यह पहला प्रस्ताव है. इसमें फूड डिलिवरी साइट्स को भी शामिल किए जाने का प्रस्ताव है.
ई-कॉमर्स साइट्स के लिये तैयार किए गए पॉलिसी ड्राफ्ट के मुताबिक, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों को अपने यूजर्स का डेटा को भारत में ही रखना पड़ सकता है. सरकार कंपनी लॉ में भी संशोधन पर विचार कर सकती है जिससे ई-कॉमर्स कंपनियों में संस्थापकों की हिस्सेदारी घटने के बावजूद उनका अपनी ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियंत्रण बना रह सके.
ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक, जिस डेटा को भारत में ही रखने की आवश्यकता होगी, उसमें इंटरनेट आफ थिंग्स (आईओटी) द्वारा जुटाए गए सामुदायिक आंकड़े, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म, सोशल मीडिया, सर्च इंजन समेत तमाम सोर्स से यूजर्स की ओर से जुटाया गया डेटा शामिल होगा. पॉलिसी में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि सरकार की नेशनल सिक्योरिटी और पब्लिक पॉलिसी मकसद से भारत में रखे आंकड़ों तक पहुंच होगी.
ड्राफ्ट में ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई के संदर्भ में शिकायतों के निपटारे के लिये प्रवर्तन निदेशालय में एक अलग प्रकोष्ठ गठित करने का सुझाव दिया गया है. सूत्रों के अनुसार ‘मार्केट प्लेस' (ई-कॉमर्स कंपनियां) पर ब्रांडेड वस्तुएं खासकर मोबाइल फोन की थोक में खरीद पर पाबंदी लगाई जा सकती है क्योंकि इससे कीमतों में गड़बड़ी होती है.
सरकार ने नेशनल ई-कॉमर्स पॉलिसी तैयार करने के लिये वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर केंद्र और ई-कॉमर्स कंपनियों अमेजन और फ्लिपकार्ट से जवाब मांगा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये दोनों बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों का उल्लंघन कर रही हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने केंद्र, अमेजन और फ्लिपकार्ट को नोटिस जारी कर उनसे 11 नवंबर तक जवाब मांगा है.
भारत में फिलहाल ई-कॉमर्स मार्केट करीब 25 अरब डॉलर का है. अगले दशक में इसके 200 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. इस सेक्टर में बढ़त को देखते हुए दिग्गज ग्लोबल फाइनेंशियल और वॉलमार्ट, सॉफ्टबैंक, अलीबाबा, टाइगर ग्लोबल जैसी कंपनियों ने भारत में निवेश का फैसला लिया है. ड्राफ्ट पॉलिसी में कई खामियों पर लगाम लगाने का भी प्रस्ताव है. ड्राफ्ट में न केवल ऐमजॉन और फ्लिपकॉर्ट जैसे मार्केटप्लेस बल्कि ग्रुप की कंपनियों पर भी बंदिशों की बात कही गई है.
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