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WHO के डायरेक्टर कह चुके हैं कि अगर कोरोनावायरस को हराना है तो 'टेस्ट, टेस्ट, टेस्ट' करते रहिए. भारत में हालांकि टेस्टिंग का एक अलग रास्ता अपनाया जा रहा है. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में सीनियर फेलो और इकनॉमिस्ट अजय शाह का कहना है कि भारत को तेजी से टेस्टिंग करनी चाहिए. शाह के मुताबिक, जानकारी के आधार पर लॉकडाउन जैसे गंभीर फैसले लेने होंगे. शाह का अनुमान है कि महामारी से लड़ने के लिए भारत को रोजाना 2-3 लाख टेस्ट करने पड़ेंगे.
भारत की मौजूदा टेस्टिंग पॉलिसी पर बात करते हुए शाह ने कहा, "अगर हमें पता होगा कि संक्रमित लोग कहां हैं, तो हम महत्वपूर्ण फैसले ले पाएंगे. अगर हमें नहीं पता होगा कि संक्रमित लोग किस इलाके में हैं, तो बैन लगाना होगा और ये इकनॉमी के लिए खतरनाक है."
अजय शाह ने कहा कि न्यायसंगत आइसोलेशन की जरूरत है और इसके लिए रोजाना 2-3 लाख टेस्ट करने पड़ेंगे.
अजय शाह ने कहा कि अगर लाखों लोगों को अस्पताल जाने की जरूरत पड़ी तो हमारे पास हेल्थकेयर कैपेसिटी बढ़ाने का प्लान होना चाहिए. शाह ने कहा, "टेस्टिंग में प्राइवेट सेक्टर एक बड़ी ताकत है. कोरोनावायरस टेस्टिंग कोई मुश्किल काम नहीं है और हमारे पास प्राइवेट टेस्टिंग की अच्छी कैपेसिटी है."
शाह का कहना है कि हेल्थकेयर का बड़ा हिस्सा प्राइवेट है और प्राइवेट अस्पतालों के पास नई फैसिलिटी खोलने की क्षमता है.
अजय शाह के मुताबिक, प्राइवेट कंपनी टेस्ट करें और सरकार इसका पैसा दे. शाह ने कहा, "पब्लिक फंडिंग की जरूरत है लेकिन प्रोडक्शन प्राइवेट सेक्टर के पास ही रहना चाहिए." शाह कहते हैं कि सरकार के कॉन्ट्रैक्ट और पेमेंट से डील करने के तरीके में कुछ रुकावट हैं, लेकिन अब इन्हें दूर करने का समय है.
भारत में कोरोनावायरस के कुल कन्फर्म मामले 490 से ज्यादा हो चुके हैं. संक्रमण से मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. संक्रमण रोकने के लिए 30 से ज्यादा राज्यों में लॉकडाउन किया गया है.
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